facebookmetapixel
Share Market: शेयर बाजार में लगातार गिरावट जारी, निवेशकों की बढ़ी चिंताविदेश घूमने जा रहे हैं? ट्रैवल इंश्योरेंस लेते समय ये गलतियां बिल्कुल न करें, नहीं तो होगा बड़ा नुकसानफैमिली फ्लोटर बनाम इंडिविजुअल हेल्थ प्लान: आपके परिवार के लिए कौन सा ज्यादा जरूरी है?NPS New Rules: NPS में करते हैं निवेश? ये पांच जरूरी बदलाव, जो आपको जरूर जानना चाहिएतेल-गैस ड्रिलिंग में उपयोग होने वाले बेराइट का भंडार भारत में खत्म होने की कगार पर, ऊर्जा सुरक्षा पर खतरासोना 70% और चांदी 30%! क्या यही है निवेश का सही फॉर्मूला?एयरलाइन मार्केट में बड़ा उलटफेर! इंडिगो ने एयर इंडिया ग्रुप को अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या में छोड़ा पीछेअब EPF का पैसा ATM और UPI से सीधे इस महीने से निकाल सकेंगे! सरकार ने बता दिया पूरा प्लान8th Pay Commission: रिटायर्ड कर्मचारियों को DA और दूसरे लाभ नहीं मिलेंगे?31 दिसंबर तक बिलेटेड टैक्स रिटर्न फाइल का अंतिम मौका! लेट फीस, फाइन से लेकर ब्याज की पूरी जानकारी

चालू परियोजना पूरी करने पर जोर

Last Updated- December 15, 2022 | 7:58 PM IST

पिछले छह वर्षों के दौरान लगातार कई विलय एवं अधिग्रहण (एमऐंडए) सौदे करने के बाद टाटा, आदित्य बिड्ला, अदाणी और जेएसडब्ल्यू ग्रुप जैसे शीर्ष भारतीय उद्योग समूह अब थोड़ा विराम ले रहे हैं। उन्होंने नई परियोजनाओं को हासिल करने के बजाय अरबों डॉलर की अपनी मौजूदा परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया है।
बैंकरों ने कहा कि पिछले छह वर्षों के दौरान टाटा समूह ने 67,601 करोड़ रुपयेे मूल्य की कंपनियों का अधिग्रहण किया। जबकि जेएसडब्ल्यू ग्रुप ने इस दौरान 36,628 करोड़ रुपये (भूषण पावर ऐंड स्टील को छोड़कर) मूल्य की परिसंपत्तियां खरीदी और अदाणी समूह ने 68,000 करोड़ रुपये मूल्य की 20 परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया। वोडाफोन आइडिया के विलय और अमेरिका में एलेरिस के अधिग्रहण को भी शामिल कर लिया जाए तो आदित्य बिड़ला समूह ने पिछले छह वर्षों के दौरान 2,38,246 करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया।
भारत की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट के मालिक बिड़ला समूह के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस साल नकदी का संरक्षण ही समूह का सबसे बड़ा लक्ष्य है।’ अल्ट्राटेक सीमेंट ने भी इस दौरान बिनानी सीमेंट और सेंचुरी टेक्सटाइल्स के सीमेंट कारोबार सहित कई अधिग्रहण किए थे।
आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी हिंडाल्को की सहायक इकाई नोवेलिस ने एलेरिस का अधिग्रहण किया था जिसे इस साल के आरंभ में नियामकों द्वारा मंजूरी दे दी गई थी। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘फिलहाल हम मौजूदा परिस्थिति से निपटने और जारी परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।’
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार काफी सुस्त पड़ गई है और कंपनियां नई परियोजनाओं से परहेज करने लगी हैं। उदाहरण के लिए, अपने शहरी गैस वितरण, बिजली वितरण, एलएनजी, ईंधन की खुदरा बिक्री, अक्षय ऊर्जा और डेटा सेंटर प्लेटफॉर्म में कई रणनीतिक निवेशकों को आकर्षित करने वाला कारोबारी समूह अदाणी ग्रुप भारत में अपने डेटा सेंटर और हवाई अड्डा कारोबार को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। समूह ने पिछले साल भारत में आयोजित एक वैश्विक बोली प्रक्रिया के तहत छह हवाई अड्डा परियोजनाएं हासिल की थी जिनका भारत के कुल हवाई यातायात में करीब 10 फीसदी योगदान है।
समूह के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमारी सभी परियोजनाएं सुचारु हैं। इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पूंजीगत खर्च करने के अलावा हमारे प्रौद्योगिकी पार्क और हवाई अड्डा परियोजनाओं को हमारे मौजूदा बुनियादी ढांचा, संसाधन, ज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का काफी लाभ मिलेगा।’
वैश्विक निवेशकों के साथ करार होने से नई प्रौद्योगिकी और रकम हासिल करने में मदद मिलेगी। अधिकारी ने कहा कि बंदरगाह, बिजली और बिजली वितरण क्षेत्र में अदाणी समूह के अधिग्रहण और पूंजी प्रबंधन से आर्थिक मंदी के बावजूद उसे रफ्तार मिली। इससे उसे नकदी संरक्षण एवं स्थिर नकदी प्रवाह सुनिश्चित करने और अगले चरण की वृद्धि को रफ्तार देने में भी मदद मिली। समूह ने वैश्विक बाजारों को कोविड-19 वैश्विक महामारी का झटका लगने से ठीक पहले सात बॉन्ड जारी कर अंतरराष्ट्रीय बाजारों से 4.26 अरब डॉलर जुटाए थे।
जेएसडब्ल्यू ग्रुप द्वारा भी लगभग इसी प्रकार की रणनीति अपनाई जा रही है। जेएसडब्ल्यू ग्रुप ने भारत में जेपी ग्रुप की बिजली परियोजनाओं और मोनेट इस्पात के संयंत्रों के अलावा कई संकटग्रस्त परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया था। समूह की प्रमुख कंपनी जेएसडब्ल्यू स्टील इस वैश्विक महामारी के फैलने से पहले 19,700 करोड़ रुपये में भूषण पावर ऐंड स्टील को खरीदने की दौड़ में भी शामिल थी। जेएसडब्ल्यू की प्रमुख प्रतिस्पर्धी टाटा स्टील ने 35,200 करोड़ रुपये में भूषण स्टील का अधिग्रहण किया था। टाटा स्टील अब ओडिशा में 23,500 करोड़ रुपये के निवेश के साथ अपनी क्षमता को बढ़ाकर 8 एमटीपीए करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसी प्रकार टाटा समूह की प्रमुख होल्डिंग कंपनी टाटा संस अपने समूह की कंपनियों में पूंजी निवेश कर रही है ताकि उनकी विस्तार योजनाओं को सुचारु रखा जा सके।

First Published - June 8, 2020 | 11:45 PM IST

संबंधित पोस्ट