Anil Ambani
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 3,000 करोड़ रुपये के लोन धोखाधड़ी मामले में शनिवार को एक कंपनी के निदेशक को गिरफ्तार किया है। यह मामला कथित तौर पर अनिल अंबानी की रिलायंस एडीएजी (Reliance ADAG) समूह से जुड़ी संस्थाओं से जुड़ा है। गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत की गई है और यह इस केस में पहली कार्रवाई है।
ईडी का आरोप है कि इन कंपनियों ने बैंक से लिए गए लोन की रकम को शेल कंपनियों के जरिए घुमाकर वापसी असंभव बना दी। गिरफ्तार निदेशक पर इस नेटवर्क में अहम भूमिका निभाने का आरोप है।
हालांकि, गिरफ्तारी नोट में अनिल अंबानी का नाम नहीं है, लेकिन उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी होने की खबर है। उन्हें 5 अगस्त को एजेंसी के सामने पेश होने के लिए समन भेजा गया है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों के अनुसार लोन से जुड़ी समस्याएं तीन तरह की होती हैं—डिफॉल्ट, विलफुल डिफॉल्ट और फ्रॉड।
डिफॉल्ट: तय समय पर भुगतान न कर पाना, चाहे वजह जानबूझकर हो या न हो।
विलफुल डिफॉल्ट: भुगतान की क्षमता होते हुए भी जानबूझकर रकम न लौटाना, फंड डायवर्जन, गिरवी संपत्ति का बिना अनुमति बेचना शामिल।
फ्रॉड: फर्जी दस्तावेज़, शेल कंपनियों और अकाउंटिंग हेरफेर के जरिए जानबूझकर धोखाधड़ी करना। इसे घोषित करने से पहले फॉरेंसिक ऑडिट और बैंक समिति की मंजूरी जरूरी होती है।
PMLA तब लागू होता है जब धोखाधड़ी से अवैध कमाई (‘प्रोसीड्स ऑफ क्राइम’) होती है। प्रक्रिया में डिफॉल्ट की पहचान, फॉरेंसिक ऑडिट, धोखाधड़ी की पुष्टि, एफआईआर दर्ज करना और अंत में ईडी या सीबीआई का हस्तक्षेप शामिल है।
भारत में कई बड़े डिफॉल्ट बाजार की मंदी, असफल बिज़नेस मॉडल या बाहरी झटकों (जैसे कोविड-19) के कारण होते हैं। ऐसे मामलों में कार्रवाई सिविल स्तर पर होती है, जबकि धोखाधड़ी साबित होने पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाता है।
DHFL–वाधवान (₹34,000 करोड़): फर्जी हाउसिंग लोन और फंड डायवर्जन
ABG शिपयार्ड (₹22,842 करोड़): संपत्ति का गलत मूल्यांकन, रकम विदेश भेजना
रोटomac पेन (₹3,695 करोड़): निर्यात क्रेडिट का दुरुपयोग
IL&FS: इंटर-कंपनी लोन के जरिए बैलेंस शीट को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना
लोन फ्रॉड घोषित होने पर उधारकर्ता को पांच साल तक बैंक फंडिंग से रोक दिया जाता है। बैंक SARFAESI या IBC के जरिए वसूली की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। साथ ही, ईडी/सीबीआई संपत्ति सीज कर केस चला सकते हैं। दोष साबित होने पर जेल और जुर्माना दोनों का प्रावधान है।