देश भर से प्रस्तावित 50 से अधिक दवा शोध परियोजनाओं में देरी के आसार बन रहे हैं।
इन परियोजनाओं का प्रस्ताव संबंधित अधिकारी ‘द कमेटी फार द परपज आफ सुपरविजन ऐंड कंट्रोल आफ एक्सपेरिमेंट्स आन एनीमल’ (सीपीसीएसईए) के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है।
इसे स्वीकृति ही नहीं मिल पा रही है।शोध पर आधारित दवा उद्योग की शिकायत है कि सीपीसीएसईए की अंतिम बैठक मार्च में हुई थी। इसमें किसी बड़ी शोध परियोजना को मंजूरी नहीं दी गई। उनका आरोप है कि नवंबर 2007 के बाद केआवेदन, मंजूरी की प्रतीक्षा में धूल फांक रहे हैं।
उद्योग जगत के दावों को खारिज करते हुए सरकार के सूत्र बताते हैं कि सीपीसीएसईए ने मार्च में हुई बैठक में ज्यादातर शोध प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। उनका कहना है, ‘उन सभी प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई है, जिसका परीक्षण कर विशेषज्ञों ने अनुमति दे दी थी।’उद्योग जगत का कहना है कि मार्च की बैठक में ढेरों परियोजनाएं लंबित थीं। सामान्यतया एक महीने के अंतर पर बैठकें होनी चाहिए, लेकिन नवंबर के बाद केवल एक बैठक हुई। उनका कहना है कि, ‘सीपीसीएसईए के सामने प्रस्ताव आने और उन्हें मंजूरी मिलने में करीब 4 महीने की देरी होगी, जिसका प्रभाव 50 से अधिक शोध परियोजनाओं पर पड़ेगा।’
बहरहाल पिछले माह की बैठक में केवल एक परियोजना पर विचार किया गया। वह परियोजना भी सरकारी डेयरी विकास संस्थान से संबंधित थी। इसके अलावा किसी भी दवा शोध परियोजना को नहीं छुआ गया। सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नवंबर में दवाओं के शोध से संबंधित परियोजनाओं के महत्व और उनकी प्राथमिकता तय करने के लिए कई उप-समितियां बनाई गईं थी।
उन्होंने कहा, ‘इन समितियों को आकलन के लिए अभी कुछ और वक्त चाहिए। इसी के चलते देरी हो रही है।’ बहरहाल उद्योग जगत को इससे खासी कठिनाई हो रही है। परियोजनाओं को स्वीकृति न मिलने से उनके कंपनी के भीतर होने वाले शोध और विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही इससे कांट्रैक्ट रिसर्चर्स को भी कठिनाई हो रही है, जो निश्चित समयावधि में शोध कार्य करने का काम करते हैं।
मुंबई के एक शोध और विकास केंद्र से जुड़े एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना है कि परियोजनाओं की स्वीकृति में होने वाली देरी से पूरा शोध कार्य पिछड़ जाता है। ‘सीपीसीएसईए की स्वीकृति मिलने के बाद ही महत्वपूर्ण लाइसेंस के लिए आवेदन किया जा सकता है। इसमें तीन से चार महीने का समय और लगता है और इस लाइसेंस के बाद ही हम आयात करने के लिए अधिकृत होते हैं। हम दोनो तरफ से कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
कंपनी प्रबंधन कोई सुनवाई करने को तैयार नहीं होता। प्राय: सीपीसीएसईए अनावश्यक जांच के लिए देरी करता है। अगर प्रस्ताव को किसी क्लियरेंस के लिए रोक लिया जाता है तो हम दूसरी बैठक की प्रतीक्षा करते हैं। सीपीसीएसईए को यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी तरह की जांच से हम पर दबाव बढ़ता है।’अधिकृत सूत्रों का कहना है कि सीपीसीएसईए ने नवंबर के सभी आवेदनों को स्वीकृति दे दी है। अब यह योजना बन रही है कि लंबित पड़े सभी वैध और जरूरी आवेदनों को अगले माह की शुरुआत में होने वाली बैठक में स्वीकृति दे दी जाए।