प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने भारत के विमानन क्षेत्र के लिए एक नई ‘व्यापक विशेष ऑडिट’ व्यवस्था शुरू की है। इस नई ऑडिट व्यवस्था का उद्देश्य एयरलाइनों, हवाई अड्डों, रखरखाव फर्मों, प्रशिक्षण संस्थानों और ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसियों से संबंधित एकीकृत और सुरक्षा मूल्यांकन करना है।
नियामक ने कहा, ‘पारंपरिक रूप से, भारतीय विमानन क्षेत्र में नियामकीय और सुरक्षा निगरानी कार्य अलग-अलग किए जाते रहे हैं, जिसमें विभिन्न निदेशालय (डीजीसीए के) अपने-अपने क्षेत्र के लिए विशिष्ट निरीक्षण और ऑडिट करते हैं। इन गतिविधियों में नियोजित/अनियोजित निगरानी जांच, रैंडम स्पॉट चेकिंग और रैंप निरीक्षण शामिल होते हैं, जो मुख्य रूप से हरेक विमानन सेगमेंट में अनुपालन और सुरक्षा का आकलन करते हैं।’ 12 जून को एयर इंडिया की लंदन जाने वाली एआई171 उड़ान अहमदाबाद से उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें 229 यात्री, 12 चालक दल के सदस्य और जमीन पर अन्य 34 लोग मारे गए।
19 जून को जारी डीजीसीए के सर्कुलर में ‘विमानन पारिस्थितिकी तंत्र के संपूर्ण मूल्यांकन की आवश्यकता’ का जिक्र किया गया है, जो ‘इसकी ताकत और सुधार से संबंधित बदलावों, दोनों को दर्शाता है’। मौजूदा समय में लागू वार्षिक निगरानी ऑडिट के बजाय विशेष ऑडिट नियामक के वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में कई क्षेत्रों की टीमों द्वारा किए जाएंगे। इन टीमों में डीजीसीए के विभिन्न प्रभागों (जैसे उड़ान मानक, हवाई सुरक्षा, उड़ान योग्यता, हवाई अड्डा मानक और एयर नेविगेशन) के कर्मी शामिल होंगे और आवश्यकता पड़ने पर बाहरी विशेषज्ञों को भी शामिल किया जा सकेगा।