नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने एयर इंडिया पर 1.1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। भौगोलिक लिहाज से ‘महत्वपूर्ण’ लंबी दूरी के कुछ मार्गों पर संचालित होने वाली उड़ानों में सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने के मामले में यह जुर्माना लगाया गया है।
पिछले साल अक्टूबर में DGCA को दी गई शिकायत में एक पायलट ने टाटा समूह द्वारा संचालित विमानन कंपनी पर भारत-अमेरिका मार्गों पर उड़ने वाले बी777 विमान में अपर्याप्त आपातकालीन ऑक्सीजन रखने का आरोप लगाया था। DGCA ने जांच के बाद पाया कि पायलट के आरोपों में दम था और नियामक ने यह जुर्माना लगाया।
एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा ‘हम DGCA के आदेश से असहमत हैं।’ प्रवक्ता ने कहा कि उठाए गए मसलों की एयर इंडिया ने बाहरी विशेषज्ञों के साथ गहन जांच की थी और निष्कर्ष निकाला कि किसी भी तरह की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया गया। प्रवक्ता ने कहा कि हम आदेश का विस्तार से अध्ययन कर रहे हैं और अपील करने के अपने अधिकार के साथ-साथ इसे नियामक के सामने उठाने सहित अपने पास उपलब्ध विकल्पों की समीक्षा करेंगे।
केबिन के दबाव में कभी-कभार अचानक कमी वाली किसी घटना में पर्याप्त आपातकालीन ऑक्सीजन की उपलब्धता से यात्री और चालक दल अधिक ऊंचाई पर सुरक्षित रूप से सांस ले सकते हैं, जहां सामान्य रूप से सांस लेने के लिए ऑक्सीजन का स्तर अपर्याप्त होता है।
यह पहला मामला नहीं है जिसमें टाटा समूह द्वारा संचालित इस विमानन कंपनी को नियामक के निर्देशों और नियमों का पालन नहीं करने के कारण उसके गुस्से का सामना करना पड़ा है। इस महीने की शुरुआत में एयर इंडिया को 30 लाख रुपये का जुर्माना देने के लिए कहा गया था।
कोहरे के मौसम के दौरान कम दृश्यता (सीएटी-3 लैंडिंग) में विमान उतारने के लिए प्रशिक्षित पर्याप्त पायलट न रखने पर यह जुर्माना लगाया गया था।
कैट-3 इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम का इस्तेमाल देश भर के प्रमुख हवाई अड्डों पर किया जाता है।