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Religare को लेकर आ गया दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला

बर्मन के वकील ने तर्क दिया कि यह एजीएम में देर करने और रेलिगेयर के प्रबंधन में बदलाव को रोकने के लिए किसी ओर की तरफ से दी गई अर्जी है।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- January 30, 2025 | 10:47 PM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की अल्पांश शेयर धारक सपना गोविंद राव को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कंपनी की आगामी सालाना आम बैठक और वित्तीय सेवा फर्म की नियंत्रक हिस्सेदारी के लिए डाबर प्रवर्तक बर्मन परिवार की खुली पेशकश पर रोक लगाने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि बाजार नियामक सेबी के पास अभी कोई वैध प्रतिस्पर्धी पेशकश नहीं है। ऐसे में बिना किसी अवरोध के बर्मन की खुली पेशकश आगे बढ़ सकती है।

बाजार नियामक ने फ्लोरिडा के कारोबारी डैनी गायकवाड़ के प्रतिस्पर्धी पेशकश के अनुरोध को लौटा दिया था क्योंकि यह प्रस्ताव प्रतिभूति कानून के तहत नियामकीय मानदंडों को पूरा नहीं करता था। राव के पास रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के 500 शेयर हैं। अपनी अपील में उन्होंने कहा था कि कम मूल्यांकन से अल्पांश शेयरधारकों के हितों के लिए अहम जोखिम है।

7 फरवरी को होने वाली एजीएम पर रोक की अर्जी पर उच्च न्यायालय ने कहा कि याची ने इस चरण में कंपनी की प्रशासन प्रक्रिया में बाधा डालने के लिए कोई बाध्यकारी वजह नहीं दिखती है। अदालत ने कोई अंतरिम राहत न देते हुए मामले की सुनवाई 18 फरवरी तय की है। बर्मन के वकील ने तर्क दिया कि यह एजीएम में देर करने और रेलिगेयर के प्रबंधन में बदलाव को रोकने के लिए किसी ओर की तरफ से दी गई अर्जी है।

एक दिन पहले रेलिगेयर की कार्यकारी चेयरपर्सन रश्मि सलूजा ने वित्तीय सेवा फर्म के निदेशक पद से हटाने के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय से राहत की मांग की थी। उन्होंने दावा किया कि उनकी नियुक्ति फरवरी 2028 तक वैध है। अदालत इस मामले पर 4 फरवरी को सुनवाई करेगी।

First Published : January 30, 2025 | 10:23 PM IST