हाल में घोषित इंडिया आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) मिशन के जरिये डीपटेक स्टार्टअप पर सरकार का ध्यान इस क्षेत्र के लिए निवेश का अनुकूल माहौल बनाने के लिए अच्छी शुरुआत है। उद्योग के हितधारकों ने यह जानकारी दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि मिशन में इन कंपनियों द्वारा अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) में तेजी लाने पर जोर दिया गया है जिससे नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और इस क्षेत्र में नए कारोबारी मॉडल तैयार होंगे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह भारत एआई मिशन के मद में पांच साल के लिए 10,372 करोड़ रुपये के व्यय को मंजूरी दी थी। इसका उद्देश्य सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के जरिये एआई में नवाचार को बढ़ावा देना है। इसमें से करीब 2,000 करोड़ रुपये डीपटेक स्टार्टअप कंपनियों की वित्तीय सहायता के लिए रखे गए हैं जिससे कि इन कंपनियों में अनुसंधान एवं विकास में तेजी लाई जा सके।
यह कदम देश में डीपटेक स्टार्टअप कंपनियों को बेहद जरूरी वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। संस्थापकों का कहना है कि वित्तीय सहायता की कमी इस क्षेत्र में नवाचार के लिए प्रमुख बाधा रही है। डीपटेक एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर-एज-सर्विस (सास) क्षेत्र की स्टार्टअप – ट्विन के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी अवि दहिया ने कहा कि उनकी (डीपटेक स्टार्टअप कंपनियों की) परियोजनाओं की जटिल प्रकृति, बड़ा विकास चक्र और इनमें दिखने वाला जोखिम, इन सभी की वजह से उन्हें बार-बार नकारा जाता है।
उद्योग के अनुमान के अनुसार फिलहाल भारत में लगभग 3,000 डीपटेक स्टार्टअप काम कर रही हैं। इनमें से 20 प्रतिशत से भी कम स्टार्टअप यथोचित वित्तीय सहायता प्राप्त कर पाई हैं। उद्योग के हितधारकों का कहना है कि इस क्षेत्र के लिए बजट में 2,000 करोड़ रुपये का आवंटन देश में निवेश का अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में अच्छी शुरुआत है।
डीपटेक इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) क्षेत्र की स्टार्टअप डेटॉम्स के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी अमिय कुमार सामंतरे ने कहा कि हालांकि 2,000 करोड़ रुपये बहुत बड़ी रकम नहीं है, लेकिन इसने देश की उद्यम पूंजी या निवेश के तंत्र के लिए दिशा तय कर दी है।