भारतीय उद्योग जगत के सीईओ नए साल में अधिक नियुक्तियां करने और निवेश बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि साल 2024 में अर्थव्यवस्था मजबूत वृद्धि दर्ज करेगी। इसी साल मई तक लोकसभा चुनाव होने हैं। भारतीय उद्योग जगत के करीब दो दर्जन मुख्य कार्याधिकारियों (सीईओ) के बीच किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि नए साल के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता खर्च में तेजी आएगी और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ेगा। तमाम वैश्विक कंपनियां भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ा रही हैं। इससे एफडीआई की रफ्तार बढ़ेगी।
बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा दिसंबर में देश भर के सीईओ के बीच किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि उनकी सबसे बड़ी चिंताएं मुद्रास्फीति और ब्याज दरों में तेजी हैं। इसके अलावा प्रतिभाओं को आकर्षित करना और उन्हें बनाए रखना भी उनकी एक प्रमुख चुनौती दिखी।
उद्योग जगत के शीर्ष अधिकारियों ने आम चुनाव में खंडित जनादेश की आशंका पर भी चिंता जताई। करीब 91 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि नए साल में वे अधिक निवेश करेंगे। लगभग इतने ही सीईओ ने मोदी सरकार के 9.5 साल के प्रदर्शन को ‘उत्कृष्ट’ बताया।
एक प्रौद्योगिकी फर्म के सीईओ ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘जहां तक कारोबार का सवाल है तो देश में कारोबारी सुगमता को बेहतर करने के लिहाज से मोदी सरकार का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है। कुल मिलाकर भारत के प्रति धारणा वैश्विक स्तर पर बढ़ी है। कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों ने भी देश के निर्यात को बढ़ावा दिया है।’
प्रतिभागियों ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की दिशा में सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की। करीब शत प्रतिशत सीईओ ने कहा कि बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए दोनों ने अच्छा काम किया है। अधिकतर प्रतिभागियों (54.5 फीसदी) का मानना है कि विपक्षी दलों का ‘इंडिया’ गठबंधन नए साल में सत्तारूढ़ सरकार के लिए कोई खास चुनौती नहीं पेश करेगा।
दक्षिण भारत की एक बड़ी कंपनी के सीईओ ने कहा, ‘सरकार रोजगार सृजित करने के मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी। नौकरी-पेशा वाले लोगों की बढ़ती तादाद को उचित तरीके से चैनेलाइज करने की आवश्यकता है।’
करीब 72.7 फीसदी सीईओ ने कहा कि वे 2024 में अधिक से अधिक लोगों को नियुक्त करने की योजना बना रहे हैं। उनमें से 86.4 फीसदी सीईओ का कहना था कि उनके कर्मचारियों के लिए वार्षिक वेतन वृद्धि 20 फीसदी से कम होगी।
करीब 96 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें नए साल में एफडीआई बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि मीडिया खबरों से पता चलता है कि अमेरिका की टेस्ला और वियतनाम की विनफास्ट ऑटो जैसी इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियां भारत में दस्तक देने की योजना बना रही हैं।
जहां तक वृद्धि का सवाल है तो साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय सीईओ आत्मविश्वास से भरे दिखे। करीब 64 फीसदी प्रतिभागियों ने उम्मीद जताई कि नए साल में उनकी कंपनी की कमाई 20 फीसदी से अधिक बढ़ेगी।
जहां तक वित्तीय बाजार का सवाल है तो 68 फीसदी से अधिक सीईओ ने उम्मीद जताई कि नए साल में रुपया 83 से 85 रुपये प्रति डॉलर के दायरे में रहेगा।
मुंबई की एक वित्तीय सेवा फर्म के सीईओ ने कहा, ‘जहां तक रुपये का सवाल है तो वह 2024 में 81 से 85 रुपये प्रति डॉलर के दायरे में कारोबार करेगा। घरेलू मोर्चे पर उसकी रफ्तार आम चुनाव से प्रेरित होगी, मगर डेट एवं इक्विटी दोनों क्षेत्रों में निवेश आकर्षित होगा। भारत अब जेपी मॉर्गन के बॉन्ड सूचकांक में शामिल हो चुका है और ऐसे में जून 2024 के बाद 25 अरब डॉलर से अधिक का निवेश होने की संभावना है।’