एमेजॉन-फ्यूचर विवाद में अदालत ने आज भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को दो सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया है। भारतीय रिटेलरों के एक समूह ने कहा है कि आयोग को इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए कहा गया है कि क्या एमेजॉन ने 2019 में फ्यूचर ग्रुप के साथ सौदे के लिए मंजूरी लेते समय अधिकारियों को गुमराह किया था।
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने एक बयान में कहा कि उसने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी जिस पर मंगलवार को फैसला सुनाया गया है।
प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन देश की दूसरी सबसे बड़ी खुदरा कंपनी फ्यूचर ग्रुप के साथ पिछले एक साल से कानूनी लड़ाई लड़ रही है। ई-कॉमर्स कंपनी ने अपने साझेदार पर मौजूदा समझौतों के उल्लंघन का हवाला देते हुए प्रतिस्पर्धी कंपनी रिलायंस के साथ फ्यूचर के 3.4 अरब डॉलर के सौदे को सफलतापूर्वक रोक दिया।
फ्यूचर का कहना है कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया है। उसे डर है कि यदि वह परिसंपत्तियों को बेचने में विफल रही तो उसे परिसमापन से गुजरना पड़ सकता है। उसने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के समक्ष अपनी दलील में कहा है कि 2019 में एमेजॉन के साथ सौदे के लिए दी गई मंजूरी को रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि अमेरिकी कंपनी ने मंजूरी हासिल करते समय अधिकारियों को गुमराह किया था। इस पर एमेजॉन ने कहा कि उसे पूरा भरोसा है कि वह इस प्रकार की नियामकीय चिंताओं को दूर किया जाएगा।
सीएआईटी ने मंगलवार को कहा कि प्रतिस्पर्धा आयोग को इस मामले में निर्णय लेने में देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह आम लोगों के हितों से जुड़ा मामला है। उसने कहा कि यदि फ्यूचर-रिलायंस सौदा विफल होता है तो उनके कारोबार को तगड़ा झटका लग सकता है।
खुदरा विक्रेताओं के समूह ने अपने बयान में कहा कि दो न्यायाधीशों के पैनल ने कहा कि सीसीआई को फ्यूचर और एमेजॉन के बीच विवाद मामले में दो सप्ताह के भीतर निर्णय अवश्य लेना होगा। बयान में कहा गया है कि व्यापारियों को इससे कोई वित्तीय नुकसान नहीं होना चाहिए।
सीसीआई और एमेजॉन ने इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए किए गए अनुरोध का कोई जवाब नहीं दिया।
दोनों कंपनियों के बीच कानूनी विवाद के केंद्र में फ्यूचर ग्रुप की इकाई फ्यूचर कूपंस में 20 करोड़ डॉलर के निवेश के लिए 2019 में एमेजॉन के साथ हुआ समझौता है।
इस मामले से अवगत एक व्यक्ति ने कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के लिए इस सौदे को खारिज करना अप्रत्याशित मामला होगा। भले ही इसके लिए प्रस्तुतियां गलत दी गई हों लेकिन आयोग द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय फ्यूचर और एमेजॉन के बीच जारी विवाद को प्रभावित कर सकता है।
अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर सूत्र ने कहा कि यदि कोई लेनदेन (2019) नहीं है तो फ्यूचर और एमेजॉन के बीच कोई विवाद भी नहीं है।
जुलाई में रॉयटर्स ने विशेष तौर पर खबर दी थी कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग फ्यूचर ग्रुप की ओर से मिली शिकायत की समीक्षा करने के बाद एमेजॉन को तथ्यों को छिपाने का दोषी पाया था। आयोग ने कई फोरम पर एमेजॉन द्वारा किए गए कानूनी खुलासे से संबंधित दस्तावेजों की तुलना करने पर पाया था कि अमेरिकी कंपनी ने 2019 में फ्यूचर ग्रुप की एक इकाई में निवेश के लिए मंजूरी हासिल करते समय तथ्यों को छिपाया था।
एमेजॉन ने रॉयटर्स से कहा था कि उसे प्रतिस्पर्धा आयोग की चिंताओं को दूर करने का विश्वास था।
