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कैमरा निर्माता कंपनियां अब रिटेल के रास्ते पर

Last Updated- December 05, 2022 | 4:30 PM IST

आय बढ़ने और असली उत्पादों के लिए उपभोक्ताओं की जागरूकता के साथ कैमरा बाजार भारतीय बाजार पर तेजी से रुख करता जा रहा है। इसके लिए कैनन इंडिया का ही उदाहरण ले लीजिए।


कैनन इंडिया को वर्ष 2010 तक अपने कैमरा बाजार से 1000 करोड़ रुपये के राजस्व लक्ष्य का 50 प्रतिशत पूरा होने की संभावना है। कंपनी ने अपनी शानदार बिक्री सुनिश्चित करने के लिए रिटेल क्षेत्र का सहारा लेने की योजना बनाई है।


मौजूदा समय में कंपनी को उम्मीद है कि इसकी 30 प्रतिशत से अधिक बिक्री होम सॉल्युशंस, विशाल और स्पेंसर्स जैसे रिटेलरों के जरिए होगी। अपने ताजा उत्पाद प्रदर्शित करने के लिए कंपनी नई दिल्ली और बेंगलुरू में विशेष दुकानें खोलेगी।


विशेषज्ञों के अनुसार भारत में कॉम्पेक्ट कैमरा बाजार अनुमानित 10 लाख यूनिट का है जबकि प्रोफेशनल कैमरा के लिए यह बाजार 12,500 यूनिट का है। दोनों श्रेणियों के तहत पिछले तीन वर्षों में 30 प्रतिशत सीएजीआर यानी सालाना चक्रवृध्दि दर से बढ़ोतरी हुई है और यह गति आगे भी जारी रहने की संभावना है।


इसी तरह निकॉन के पास भी कई बड़ी योजनाएं हैं। भारतीय बाजार में विलंब से प्रवेश करने वाली इस कंपनी को 2010 तक डिजिटल एसएलआर बाजार में 45 प्रतिशत बाजार भागीदारी और कॉम्पेक्ट कैमरा बाजार में 10 प्रतिशत बाजार भागीदार प्राप्त करने की उम्मीद है।


निकॉन इंडिया के प्रबंध निदेशक हिडेहिको टनाका ने कहा, ”इस लक्ष्य को पूरा किए जाने के क्रम में हम अपने डीलर नेटवर्क के जरिए रिटेल उपभोक्ताओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए 100 प्रतिशत विस्तार करने की योजना बना रहे हैं।”


कंपनी ने 2008-09 तक देश में अपने डीलरों की संख्या 400 से बढ़ा कर 1000 करने की योजना बनाई है। निकॉन के उत्पाद पारंपरिक मल्टी ब्रांड आउटलेटों और क्रोमा जैसे कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स रिटेल चेन पर उपलब्ध हैं।


सोनी इंडिया के राजस्व में भी इजाफा हुआ है। कंपनी ने पिछले वर्ष 17 नए मॉडलों को बाजार में उतारा। कंपनी के 7000 चैनल पार्टनर और 260 सोनी आउटलेट हैं।


सैमसंग इंडिया ने भी 115 सैमसंग डिजिटल प्लाजा के जरिए कैमरा सेगमेंट में अपना दांव लगाया है। कंपनी ने रिलायंस डिजिटल, क्रोमा और अन्य मल्टी ब्रांड आउटलेटों के साथ गठजोड़ किया है। वहीं भारतीय आयात शुल्क ढांचे ने निकॉन को लो मार्जिन के लिए बाध्य कर दिया है।


कंपनी के लिए अनधिकृत बाजार के सामने बिक्री कायम रखना सबसे बड़ी चुनौती है। टनाका ने कहा, ”हमें सबसे अधिक प्रतिस्पर्धा का सामना भारतीय बाजार में करना पड़ता है। निकॉन के लगभग 80 प्रतिशत उत्पाद अनधिकृत बाजार के जरिए भारत में बेचे जाते हैं।”


कैनन इंडिया के अध्यक्ष आलोक भारद्वाज के अनुसार, ”हम अनधिकृत बाजार को एक खोए हुए अवसर के रूप में देख रहे हैं।”सोनी इंडिया के प्रोडक्ट हेड (डिजिटल स्टिल कैमरा) सचिन राई ने कहा, ”प्रमुख लोकेशनों पर ब्रांडेड स्टोरों की हमारी रणनीति ग्राहकों को अंतरराष्ट्रीय खरीदारी माहौल, उत्पाद गुणवत्ता मुहैया कराना रही है।”


शुल्कों में कटौती और एफटीए नीतियों जैसी सरकारी पहलों के कारण भी अनधिकृत बाजार पर नियंत्रण घटा है। प्रमुख राष्ट्रव्यापी रिटेल चेन के जरिए संगठित रिटेल के बढ़ने से असली उत्पादों की स्थिति और मजबूत हुई है।

First Published - March 10, 2008 | 9:26 PM IST

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