बायोफार्मास्युटिकल क्षेत्र की प्रमुख कंपनी बायोकॉन ने हाल में अमेरिका में सबसे कम बाजार मूल्य पर अपनी इंसुलिन दवा ग्लार्गिन को बाजार में उतारा है। इससे आरऐंडडी में समृद्ध इस कंपनी के लिए 2.2 अरब डॉलर का अवसर पैदा हुआ है। हालांकि बायोकॉन अपने इंसुलिन पोर्टफोलियो में दो दवाओं- आरएच इंसुलिन और ग्लार्गिन- के साथ 40 से अधिक देशों में मौजूद है। लेकिन बेंगलूरु की इस कंपनी ने दुनिया भर में इंसुलिन आधारित चिकित्सा की आवश्यकता वाले प्रत्येक पांच मधुमेह रोगियों में से एक तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
बायोकॉन बायोलॉजिक्स के एमडी एवं सीईओ क्रिस्टिन हैमर ने कहा, ‘यह ब्लॉकबस्टर दवा 1 अरब डॉलर का राजस्व नहीं कमा रही है लेकिन यह 1 अरब रोगियों की जिंदगी को छू रही है। हम मधुमेह को एक वैश्विक महामारी कहते हैं जिसने आज दुनिया भर में करीब 50 करोड़ लोगों को प्रभावित किया है।’ बायोकॉन ने सबसे पहले पिशिया एक्सप्रेशन सिस्टम पर आधारित पहला वैश्विक मानव इंसुलिन को बाजार में उतारा है।
बायोकॉन ने 90 के दशक के अंत में एंजाइम कारोबार के तौर पर अपना परिचालन शुरू किया था और वह अधिक से अधिक रोगियों पर अपना प्रभाव डालने के लिए कारोबार को विविध बनाने की संभावनाएं तलाश रही थी। इसी क्रम में उसने खमीर की एक प्रजाति पिशिया पर आधारित अपने फरर्मेंटेशन प्लेटफॉर्म का विश्लेषण शुरू किया। इस प्रकार उसने मानव इंसुलिन प्रोटीन को विकसित करना शुरू किया था। वर्ष 2004 में अनुसंधान एवं विकास के करीब चार साल बाद कंपनी ने अपने पहले इंसुलिन को बाजार में उतारा जिसे भारत में इंसुजेन नाम दिया गया था।