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बजाज को मिल गई कानूनी जीत

Last Updated- December 05, 2022 | 11:41 PM IST

चीनी उद्योग में बड़ी हैसियत रखने वाले बजाज समूह को बड़ी अदालती जीत मिली है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने समूह को गन्ने की कीमत में से ढुर्लाई भाड़ा काटने की इजाजत दे दी है।


न्यायमूर्ति अंजनी कुमार और राकेश शर्मा की खंडपीठ ने बजाज हिंदुस्तान समूह की ओर से दायर याचिका पर पिछले दिनों यह फैसला किया। इसके मुताबिक समूह अब गन्ना किसानों को ढुलाई भाड़ा काटने के बाद ही गन्ने की कीमत देगा।


गौरतलब है कि इससे पहले उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश की सभी गन्ना मिलों को पिछले वित्त वर्ष के लिए न्यूनमत 110 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत अदा करने का निर्देश दिया था। लेकिन खंडपीठ ने बजाज समूह के लिए यह कीमत 81 रुपये प्रति क्विंटल मुकर्रर कर दी।


दोनों ही आदेशों के खिलाफ राज्य सरकार ने विशेष अनुमति याचिकाएं दायर की हैं।याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय के विचाराधीन हैं। चीनी कानून के मुताबिक गन्ना किसानों को अपनी फसल उसी चीनी मिल को देनी है, जिससे वह राज्य गन्ना आयुक्त के आदेश के कारण बंधे होते हैं।


राज्य सरकार ने 30 अक्टूबर 2007 के आदेश में गन्ने की आम किस्म के लिए 125 रुपये प्रति क्विंटल की मूल्य दर तय की थी। उससे पिछले सत्र में भी किसानों को यही कीमत मिली थी।


चीनी मिल मालिकों ने इसके खिलाफ अदालत का सहारा लिया था।उनका कहना था कि यह मूल्य बहुत ज्यादा है।जवाब में राज्य सरकार ने कहा कि खेती की लागत बढ़ने के बाद भी मूल्य बढ़ाया नहीं गया है, इसलिए इतनी कीमत तो देनी ही पड़ेगी।गन्ने की उपज के मामले में देश में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है।महाराष्ट्र का दूसरा स्थान है।

First Published - April 24, 2008 | 12:28 AM IST

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