शिक्षा प्रौद्योगिकी (एडुटेक) क्षेत्र की प्रमुख कंपनी बैजूस अपने 1.2 अरब डॉलर के ऋण की रेटिंग इसी साल अगस्त तक कराने की योजना बना रही है। इस मामले से अवगत सूत्रों ने बताया कि रेटिंग न कराए जाने जाने पर कंपनी को अधिक ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा।
विदेशी बाजार से जुटाए गए टर्म लोन की रेटिंग नहीं की गई थी। लेकिन अनुबंध के अनुसार यदि कंपनी सौदा पूरा होने के नौ महीनों के भीतर कम से कम दो रेटिंग एजेंसियों- फिच/ एसऐंडपी/ मूडीज- से क्रेडिट रेटिंग हासिल नहीं करती है तो ब्याज की दरें बढ़ जाएंगी। इसकी समय-सीमा इसी साल अगस्त में खत्म हो रही है।
ऋण की रेटिंग का निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब कंपनी अगले 9 से 12 महीनों के दौरान अपने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के साथ पूंजी बाजार में दस्तक देने की तैयारी कर रही है।
इससे पहले कंपनी ने 80 करोड़ डॉलर जुटाए थे जिसमें से आधी रकम संस्थापक बैजू रवींद्रन ने अपने शेयरों को गिरवी रखते हुए व्यक्तिगत क्षमता के आधार पर जुटाई थी।
सूत्रों का कहना है कि रवींद्रन आईपीओ से पहले कंपनी में अपनी हिस्सेदारी को 23 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि ऋण के लिए उन्होंने कितने शेयरों को गिरवी रखी है।
विश्लेषकों का कहना है कि बैजूस भविष्य में रकम जुटाने के लिए अपने संस्थापकों पर जोर डालने अथवा कंपनी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए उल्लेखनीय निवेश करने के बजाय उतार-चढ़ाव भरे बाजार में निजी इक्विटी फंड से रकम जुटाने पर जोर दे रही है। पिछले साल कंपनी ने कॉरपोरेट गारंटी के लिए अपनी सीमा को पार कर लिया था जो खासतौर पर विदेश में अधिग्रहण के लिए सालाना 1 अरब डॉलर थी। सूत्रों का कहना है कि अप्रैल से वह दरवाजा फिर खुलेगा। हालांकि बैजूस के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार किया।
ताजा रकम जुटाने सेकंपनी का मूल्यांकन बढ़कर 22 अरब डॉलर हो जाएगा। हालांकि कंपनी देश में अथवा अमेरिका में विशेष उद्देशीय अधिग्रहण कंपनी (एसपीएसी) के जरिये सूचीबद्ध होने की संभावनाएं तलाश रही है। लेकिन अमेरिका के एसपीएसी बाजार काफी उथल-पुथल है और विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे में मूल्यांकन काफी अलग हो सकता है।
कंपनी ने 1.2 अरब डॉलर का ऋण विदेशी बाजार से 5 साल की अवधि के लिए लिया था। उसने लंदन इंटरबैंक ऑफर्ड रेट (एलआईबीओआर) प्लस 550 पर यह ऋण हासिल किया था जो घरेलू बाजार में उपलब्ध दरों के मुकाबले काफी कम है।
