पीडब्ल्यू के खिलाफ हुए ऑडिटर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 09, 2022 | 8:53 PM IST

सत्यम के चेयरमैन रामलिंग राजू द्वारा सत्यम कम्प्यूटर सर्विसेज में 7,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से पर्दा उठाए जाने के एक दिन बाद ऑडिट समुदाय में गुस्सा और चिंता समान रूप से बरकरार है।


ये ऑडिटर प्रमोटरों और अप्रभावी स्वतंत्र निदेशकों पर रोष जता रहे हैं। इसे लेकर अकाउंटिंग क्षेत्र की प्रमुख फर्म प्राइसवाटरहाउस की भी फजीहत हो रही है। प्राइस वाटरहाउस की अकाउंटिंग इकाई प्राइस वाटरहाउस के पार्टनरों को गुप्त रखा गया है।

कई जाने-माने अकाउंटेंटों का कहना है कि उनकी प्रक्रिया काफी मजबूत है। पेशेवर सेवाओं से जुड़ी गुड़गांव की एक फर्म के एक अधिकारी ने कहा, ‘लेकिन यदि कोई प्रमोटर ही सब कुछ करता हो तो ऑडिटर इसमें क्या कर सकता है।’

कुछ अकाउंटेंटों का कहना है कि तिमाही दर तिमाही के ऑडिट परिणामों को तय समय-सीमा पर प्रकाशित करने की बाध्यता से ऑडिट की गुणवत्ता पर संदेह पैदा हो जाता है।

इससे ऑडिटरों पर दबाव काफी बढ़ जाता है। ज्यादातर अकाउंटेंट मान रहे हैं कि सत्यम प्रकरण सभी ऑडिटरों को सतर्क कर देने वाला मामला है।

इस मामले में प्राइस वाटरहाउस के पार्टनर श्रीनिवास तल्लूरी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है जिन्होंने ऑडिटर्स रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए थे।

इंस्टीटयूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के उपाध्यक्ष उत्तम प्रकाश अग्रवाल ने कहा, ‘चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एक्ट के तहत हम फर्म नहीं बल्कि सिर्फ उन सदस्यो के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं जिन्होंने ऑडिटर्स रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए थे।’

पिछले तीन साल में आईसीएआई 120 सदस्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर चुका है। आईसीएआई के अध्यक्ष वेन जैन ने बताया कि सात मामलों में सदस्यों का लाइसेंस 5 साल से ज्यादा समय के लिए रद्द कर दिया गया। सातों मामलों में अदालतें आईसीएआई के फैसले का समर्थन कर चुकी हैं।

पांच साल से अधिक की सजा सिर्फ धोखाधड़ी या वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामलों में दी गई है। ऐसी ही अनियमितता सत्यम कम्प्यूटर्स के मामले में देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में सिर्फ एक लाइसेंस को हमेशा के लिए समाप्त किया गया है।

First Published : January 8, 2009 | 11:56 PM IST