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…और अनिल का दिल गुजराती सिनेमा पर डोला

Last Updated- December 07, 2022 | 11:41 AM IST

गॉलीवुड के नाम से मशहूर गुजराती फिल्म उद्योग अब मेकओवर के लिए तैयार है। गुजराती फिल्म निर्माण के क्षेत्र में संगठित खिलाड़ियों के आने से इस उद्योग को अब अच्छी फिल्म बनाने के लिए रुपये की कमी से नहीं जूझना पड़ेगा।


गुजराती फिल्म निर्माण के क्षेत्र में आने वाले कारोबारियों में सबसे पहला नाम अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के अनिल अंबानी का है। गुजराती भाषा में अपने क्षेत्रीय चैनल के जरिये अनिल गुजराती फिल्मों के निर्माण में कदम रखने वाले हैं।

इसके लिए अनिल अंबानी के समूह ने गुजराती फिल्म उद्योग के सबसे सफल निर्देशक गोविंद भाई पटेल से एक फिल्म का निर्देशन करने के लिए बात भी कर ली है। सौ से भी ज्यादा फिल्मों का निर्माण करने वाले पटेल ने ही इस उद्योग की अभी तक की सबसे बड़ी हिट ‘देस रे जाय दादा परदेस जोया’ का निर्देशन किया था। इस फिल्म ने 7 करोड़ रुपये का कारोबार किया था।

गोविंदभाई पटेल ने इस बात को स्वीकारा की एडीएजी गुजराती फिल्म उद्योग में निवेश करने वाली है और कंपनी ने एक फिल्म के निर्देंशन के लिए उनसे बात भी की है।  हालांकि इस बारे में उन्होंने ज्यादा कुछ भी बताने से मना कर दिया। उन्होंने बताया कि इस फिल्म का निर्माण कार्य दिवाली के बाद ही शुरू होगा। एडएजी समूह की कंपनी एबीएम इस फिल्म में पैसा लगाएगी। संगठित कंपनियों के इस क्षेत्र में आने से गुजराती फिल्मों की गुणवत्ता और बढ़ेगी।

अगर कुछ फिल्मों की बात छोड़ दे तो गुजराती फिल्में शहरी दर्शकों को थियेटरों तक खींचने में नाकाम रही है। रिलायंस जैसी कंपनियों के इस क्षेत्र में आने से इस उद्योग के तेजी से बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं। एक फिल्म निर्माता के मुताबिक, ‘गुजराती फिल्म निर्देशकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी पैसा।

एक गुजराती फिल्म बनाने में औसतन 30 लाख रुपये का खर्च आता है लेकिन इस लागत में अच्छी फिल्म नहीं बन पाती है। लेकिन रिलायंस के इस क्षेत्र में आने से जाहिर तौर पर बड़े बजट की फिल्में बनेंगी। इससे फिल्मों की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।’ फिलहाल पटेल ‘ढोली थारो ढोल वाज्यो’ नाम से फिल्म का निर्माण कर रहे हैं। इस फिल्म का बजट 1 करोड़ रुपये  है।

First Published - July 16, 2008 | 12:24 AM IST

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