अमेरिका की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन ने गगन सिंह, रवींद्र धारीवाल और जैकब मैथ्यू सहित फ्यूचर रिटेल के स्वतंत्र निदेशकों को पत्र लिखकर समझौते के दायरे में रहते हुए फ्यूचर रिटेल की वित्तीय चिंता दूर करने में मदद की अपनी मंशा को दोहराया है। इसमें समारा कैपिटल और फ्यूचर रिटेल के बीच प्रस्तावित समाधान की शर्तें भी शामिल हैं, जिनके तहत फ्यूचर में 7,000 करोड़ रुपये निवेश करने की बात कही गई थी। यह पत्र यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नैशनल बैंक, यूको बैंक और इंडियन बैंक के शीर्ष कार्याधिकारियों को भी भेजा गया है।
एमेजॉन ने 19 जनवरी को लिखे पत्र में कहा है, ‘हम कंपनी के स्वतंत्र निदेशकों को पहले भी लिखे पत्र के साथ ही यह पत्र लिख रहे हैं। हम फ्यूचर रिटेल को उसकी किसी भी वित्तीय चिंता को दूर करने में समझौते के प्रारूप के तहत सहायता करने के इच्छुक हैं, जिसमें समारा कैपिटल और फ्यूचर रिटेल के साथ प्रस्तावित समाधान शामिल है, जिसमें 7,000 करोड़ रुपये निवेश करने की बात कही गई है।’ बिजनेस स्टैंडर्ड ने यह पत्र देखा है। सूत्रों के अनुसार जून 2020 में एमेजॉन समर्थित समारा कैपिटल ने फ्यूचर रिटेल के साथ गैर-बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत 7,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाना था। यह समझौता किशोर बियाणी के नेतृत्व वाले फ्यूचर समूह के रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ 24,713 करोड़ रुपये में सौदे की घोषणा से दो महीने पहले किया गया था।
एमेजॉन के पत्र में कहा गया है, ‘बिना किसी पूर्वग्रह के एमेजॉन दोहराती है कि मध्यस्थता पंचाट और भारत की अदालतों के आदेश के तहत एमेजॉन की सहमति के बिना फ्यूचर किसी अन्य को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कंपनी की संपत्तियां नहीं सौंप सकती।’ एमेजॉन ने यह भी कहा है कि कुछ मीडिया स्रोतों से पता चला है कि फ्यूचर रिटेल ईजीडे और हेरिटेज फ्रेश ब्रांड समेत अपने छोटे आकार वाले स्टोर बेचने की योजना बना रही है। कृपया ध्यान दें कि एमेजॉन की सहमति के बिना छोटे प्रारूप वाले स्टोर बेचना आदेश का उल्लंघन होगा।
एमेजॉन ने कहा कि उसने मध्यस्थता पंचाट और देश की अदालतों में भी फ्यूचर रिटेल की मदद की इच्छा जताई थी। एमेजॉन ने अपने वकीलों के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय में भी फ्यूचर रिटेल के लिए समाधान तलाशने की अपनी प्रतिबद्घता दोहराई थी।
इस बारे में पक्ष जानने के लिए फ्यूचर समूह और एमेजॉन से संपर्क किया गया लेकिन खबर लिखे जाने तक उनका जवाब नहीं आया।
यह मामला अगस्त 2019 से जुड़ा हुआ है, जब एमेजॉन ने फ्यूचर रिटेल की प्रवर्तक इकाई फ्यूचर कूपन्स में 1,500 करोड़ रुपये के निवेश से 49 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था। एक साल बाद अगस्त 2020 में फ्यूचर समूह ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ 3.4 अरब डॉलर में संपत्ति बेचने का करार कर लिया।
अक्टूबर 2020 में एमेजॉन ने आरआईएल के साथ सौदा रोकने के लिए फ्यूचर को कानूनी नोटिस भेजा था। उसने आरोप लगाया था कि फ्यूचर-रिलायंस का सौदा एमेजॉन के साथ किए गए समझौते का उल्लंघन है। उसने किशोर बियाणी के नेतृत्व वाली रिटेल शृंखला के साथ गैर-प्रतिस्पर्धी अनुबंध का हवाला दिया था। इस बीच सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत ने अक्टूबर 2020 में एमेजॉन के पक्ष में फैसला सुनाया। नवंबर 2020 में फ्यूचर दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंच गई और एमेजॉन पर सौदे में अड़ंगा लगाने का आरोप लगाया। उसके बाद से दोनों कंपनियां कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं।
पिछले साल दिसंबर में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने एमेजॉन और फ्यूचर कूपन्स के 2019 में किए गए सौदे को निलंबित कर दिया और एमेजॉन पर 200 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगा दिया।
इसके बाद एमेजॉन ने सीसीआई के आदेश को राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट में चुनौती दी। इसके साथ ही एमेजॉन ने सर्वोच्च न्यायालय में भी फ्यूचर और रिलायंस सौदे पर मध्यस्थता आदेश को रोकने के खिलाफ अपील की है।