केंद्र सरकार ई-कॉमर्स के लिए विदेशी निवेश के नियमों में बदलाव करने पर विचार कर रही है। तीन सूत्रों और एक सरकारी प्रवक्ता ने रॉयटर्स को इसकी पुष्टि की है। सरकार के इस कदम से एमेजॉनडॉटकॉम इंक सहित ई-कॉमर्स कंपनियों को बड़े विक्रेताओं के साथ अपने समझौते का पुनर्गठन करना पड़ सकता है।
इस संबंध में सरकार की चर्चा खुदरा दुकानदारों की ओर से बढ़ती शिकायतों से मेल खाती है। ये दुकानदार वर्षों से आरोप लगा रहे हैं कि एमेजॉन और वॉलमार्ट इंक के नियंत्रण वाली फ्लिपकार्ट जटिल तंत्र खड़ा कर केंद्र सरकार के नियमों का नियमों का उल्लंघन कर रही हैं। इस आरोप का अमेरिकी कंपनियां खंडन करती हैं।
देश में विदेशी ई-कंपनियों को केवल मार्केटप्लेस के तौर पर परिचालन करने की अनुमति है जहां पर वे खरीदार और विक्रेताओं को आपस में जोड़ती हैं। उन्हें सामान का भंडार रखने और अपने स्तर पर अपने प्लेटफॉर्मों पर बेचने की मनाही है। एमेजॉन और वालमॉर्ट की फ्लिपकार्ट को पिछली बार धक्का दिसंबर 2018 में लगा था, जब निवेश नियमों में बदलाव किया गया था। इस नियम में विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को उन विक्रेताओं के उत्पादों की पेशकश करने की मनाही थी, जिसमें उनकी इक्विटी हिस्सेदारी है।तीन सूत्रों ने बताया कि अब सरकार कुछ ऐसे प्रावधान लाने पर विचार कर रही है जिससे यदि ई-कॉमर्स फर्म अपने मूल संगठन के जरिये विक्रेता की कंपनी में हिस्सेदारी रखती हैं तो उन व्यववस्थाओं पर भी लगाम लगे। सूत्रों ने चर्चा को निजी बताते हुए पहचान नहीं बताने का अनुरोध किया है। सरकार की ओर से ऐसे बदलाव किए जाने से एमेजॉन को चोट पहुंच सकती है क्योंकि वह भारत में अपने दो सबसे बड़े ऑनलाइन विक्रेताओं में अप्रत्यक्ष इक्विटी हिस्सेदारी रखती है।
एमेजॉन, वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट ने टिप्पणी करने के अनुरोध पर तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दी।
वणिज्य और उद्योग मंत्रालय के प्रवक्ता योगेश बावेजा ने रॉयटर्स से कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नियमों में किसी तरह के बदलाव की जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी जाएगी।
पी-नोट से निवेश 87,132 करोड़ रुपये पर
घरेलू पूंजी बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट (पी- नोट्स) के जरिए निवेश दिसंबर 2020 के अंत में 87,132 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। यह पिछले 31 माह का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इससे देश में निवेश को लेकर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के रुख का पता चलता है। पी-नोट भारत में पंजीकृत एफपीआई द्वारा जारी किए जाते हैं। एफपीआई ये नोट ऐसे विदेशी निवेशकों को जारी करते हैं जो कि भारतीय बाजारों में खुद पंजीकृत हुए बिना निवेश करना चाहते हैं। हालांकि पी- नोट के जरिए निवेश करने से पहले उन्हें जांच पड़ताल की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। सेबी के आंकड़ों के मुताबिक भारतीय बाजारों में पी-नोट का मूल्य दिसंबर अंत में बढ़ाकर 87,132 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। भाषा