भारतीय बाजार में कभी उम्दा प्रदर्शन न कर पाने के कारण अपना कारोबार समेट लेने वाले कई प्रमुख वैश्विक मोबाइल ब्रांड अब स्थानीय साझेदारों के साथ जबरदस्त वापसी करने की तैयारी कर रहे हैं। पिछले कुछ समय से देश में स्मार्टफोन की बिक्री रफ्तार सुस्त रहने के बावजूद अल्काटेल और एसर जैसे ब्रांड देसी कंपनियों के साथ लाइसेंस समझौतों जरिये नए सिरे से भारत में उतर रहे हैं।
साल 2024 में स्मार्टफोन की बिक्री में महज 1 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि 2025 की पहली तिमाही में 9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। फ्रांस की कंपनी अल्काटेल और ताइवान की कंपनी एसर फिनलैंड की फोन विनिर्माता एचएमडी के साथ साझेदारी करने जा रही हैं। एचएमडी ने माइक्रोसॉफ्ट से नोकिया ब्रांड नाम हासिल किया है। उसने पिछले साल की दूसरी छमाही में अपने ब्रांड के तहत बिक्री शुरू की थी और उसकी बाजार हिस्सेदारी लगभग नगण्य है।
नेक्स्टसेल इंडिया के मुख्य कारोबार अधिकारी अतुल विवेक ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य दो वर्षों में शीर्ष तीन ब्रांडों में शुमार होना है। हम 15,000 से 25,000 कीमत दायरे में अपनी पेशकश के साथ शुरुआत करेंगे और बाद में बाजार की हर श्रेणी में दस्तक देंगे। हम अगले 45 से 60 दिनों में देश भर में अपने उत्पादों को उतार देंगे।’
नेक्स्टसेल इंडिया घरेलू कंपनी है जिसे भारत एवं कुछ अन्य बाजारों में अल्काटेल ब्रांड के उपयोग के लिए टीसीएल कम्युनिकेशंस से अधिकार मिला है। वह मोबाइल फोन क्षेत्र के दिग्गज माधव सेठ द्वारा सह-स्थापित कंपनी है। सेठ ने रियलमी ब्रांड को स्थापित करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
एसर भी किसी से पीछे नहीं है। उसने 15 अप्रैल से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म एमेजॉन के जरिये दो स्मार्टफोन लॉन्च किए जिनकी शुरुआती कीमत 9,900 रुपये है। इंडकल टेक्नोलॉजिज के मुख्य कार्याधिकारी आनंद दुबे ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य अगले 36 महीनों में उच्च एकल अंक में बाजार हिस्सेदारी हासिल करना है। हम विभिन्न कीमत दायरे में उत्पाद उतारेंगे जिसमें 60,000 रुपये तक के प्रीमियम उत्पाद भी होंगे।’ इंडकल टेक्नोलॉजिज के पास स्मार्टफोन के उत्पादन एवं बिक्री का ब्रांड लाइसेंस है।
मगर बाजार में पैठ बनाना आसान नहीं होगा। काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसंधान निदेशक तरुण पाठक ने कहा, ‘देश के 96 फीसदी स्मार्टफोन बाजार पर शीर्ष 10 मूल उपकरण विनिर्माताओं का वर्चस्व है। ऐसे में किसी नए खिलाड़ी के लिए काफी कम गुंजाइश दिखती है। मगर यहां उन्हें एक अलग पहचान बनाने, आसान उपयोगकर्ता इंटरफेस तैयार करने और सबसे अधिक बिक्री वाली 20,000 रुपये से कम कीमत वाली श्रेणी में प्रतिस्पर्धी मूल्य रखने की जरूरत होगी।’ इस श्रेणी में ब्रांड लॉयल्टी काफी कम है, इसलिए कोई भी प्रयोग किया जा सकता है।