खपत में रुकावट के बाद अब दिखने लगी तेजी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 3:21 AM IST

देश की सबसे बड़ी उपभोक्ता वस्तु कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) के चेयरमैन संजीव मेहता का मानना है कि इस साल अप्रैल से जून के बीच कोविड-19 की दूसरी लहर भारत में खपत के लिए एकमात्र ठहराव है और उससे देश के समग्र विकास की रफ्तार सुस्त नहीं पड़ेगी। मेहता ने कंपनी की वार्षिक आम बैठक के दौरान शेयरधारकों से कहा कि भारत विशेष तौर पर रोजमर्रा के उपयोग की वस्तु (एफएमसीजी) क्षेत्र में वृद्धि की ओर अग्रसर है।
हालिया सप्ताह के दौरान कई राज्यों द्वारा लॉकडाउन संबंधी पाबंदियां हटाए जाने के साथ ही सुधार के संकेत कहीं अधिक स्पष्ट दिखने लगे हैं। हालांकि कोविड-19 के वेरिएंट ऑफ कंसर्न और तीसरी लहर की आशंका बरकरार है लेकिन टीकाकरण अभियान, मॉनसून की प्रगति और विवेकाधीन श्रेणियों में अटकी हुई मांग के कारण जुलाई से सितंबर की अवधि में एफएमसीजी कंपनियों की वृद्धि को रफ्तार मिलेगी।
नीलसन के आंकड़ों के अनुसार, जून तिमाही के दौरान एफएमसीजी क्षेत्र में 5 से 6 फीसदी की वृद्धि दिखने की संभावना है जो मार्च तिमाही में दर्ज 9.4 फीसदी की वृद्धि के मुकाबले कम है।
हालांकि दूसरी तिमाही में सुधार की रफ्तार तेज हो सकती है। वास्तव में एफएमसीजी क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि दूसरी तिमाही के दौरान इस क्षेत्र की वृद्धि 10 से 15 फीसदी के दायरे में रहेगी। जबकि नीलसन ने अभी तक जून और सितंबर तिमाही के आंकड़े जारी नहीं किए हैं। बाजार अनुसंधान एजेंसी ने मई में जब एफएमसीजी बाजार के लिए तिमाही आंकड़े जारी किए थे तो उसने कहा था कि जून तिमाही के दौरान विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में खपत में गिरावट पर करीबी नजर रखी जा रही है। उसने यह भी कहा था कि यदि कंपनियां दूसरी लहर की चुनौतियों का सामना करने में समर्थ होती हैं तो जुलाई से सितंबर की अवधि में उन्हें दमदार वृद्धि का तोहफा मिलेगा।
मैरिको के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी सौगत गुप्ता ने कहा, ‘दैनिक उपभोग की वस्तुओं में वृद्धि अपनी मूल राह पर लौट जाएगी। स्वास्थ्य सेवा एवं तंदुरुस्ती जैसी श्रेणियों के लिए वॉलेट की हिस्सेदारी बढ़ेगी। इसके अलावा दूसरी लहर की चुनौतियों बावजूद किराना स्टोरों में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है।’
रिटेल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म बिजोम ने कहा कि अप्रैल और मई में बंदी के बाद जून में किराना स्टोरों की बिक्री में सुधार हुआ है। दूसरी तिमाही के दौरान इस रुझान में कहीं अधिक सुधार होने की उम्मीद है। गुप्ता ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की मांग में कोई खास गिरावट नहीं आई है जबकि कार्यशील पूंजी की कमी और कमजोर वितरण मॉडल के कारण छोटे एफएमसीजी कंपनियों को बाजार से बाहर होना पड़ सकता है।
पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने भी इस बात से सहमति जताई कि ग्रामीण मांग अच्छी बनी हुई है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा काफी हद तक अच्छे मॉनसून के पूर्वानुमान के कारण है क्योंकि इससे खरीफ सत्र में फसल की बुवाई में मदद मिलेगी।

First Published : June 24, 2021 | 11:57 PM IST