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Adani Group: अमेरिकी रिश्वतखोरी आरोपों से अदाणी समूह की साख को झटका, उधारी लागत बढ़ने की आशंका

अदाणी समूह पर अमेरिकी अभियोजकों के आरोपों ने कॉरपोरेट गवर्नेंस पर सवाल उठाए; निवेशकों का भरोसा और वित्तीय लागत पर दीर्घकालिक असर संभव

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- November 21, 2024 | 10:32 PM IST

प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्मों का मानना है कि अमेरिकी अभियोजकों के अदाणी समूह पर रिश्वतखोरी के आरोप उसकी साख के लिए नुकसानदेह है। इन आरोपों का उधारी की लागत पर दीर्घावधि असर पड़ सकता है और नियामकीय प्रक्रियाओं के भरोसे को भी चोट पहुंच सकती है।

20 नवंबर को अमेरिकी न्याय विभाग और सिक्योरिटीज एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी, उनके भतीजे सागर अदाणी और समूह के कई अन्य अधिकारियों पर कथित रिश्वत दिए जाने का आरोप लगाया और यह मामला दो अक्षय ऊर्जा कंपनियों को अरबों डॉलर की सौर ऊर्जा परियोजना से लाभ लेने में सक्षम बनाने से संबंधित था।

कॉरपोरेट गवर्नेंस के मामलों पर नजर रखने और निवेशकों को जानकार फैसला लेने के लिहाज से सलाह देने वाली प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्मों ने इन अरोपों को गंभीरता से लिया है। इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज (आईआईएएस) के संस्थापक और प्रबंध निदेशक अमित टंडन ने कहा कि अब जब हम चीन+1 के बारे में सोच रहे हैं और यह प्लस वन हम ही बनना चाहते हैं तो नियामक और वित्तीय प्रणाली पर भरोसा रखना महत्वपूर्ण है।

अगर यह बाजार में निवेशकों और प्रतिभागियों के भरोसे को कमजोर करता है तो यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं है। इससे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की हमारी क्षमता खत्म हो जाएगी। सिस्टम में निवेशकों और आपूर्तिकर्ताओं, खरीदारों और संपूर्ण मूल्य श्रृंखला दोनों के भरोसे के सवाल बरकरार रहेंगे। ऐसे उदाहरण देशों की अन्य कंपनियों पर भरोसा कम कर सकते हैं।

उनका मानना है कि समूह स्पष्ट तौर पर और समय पर खुलासे कर सकता था, जिसके अभाव में निवेशक भौंचक्क रह गए। टंडन ने कहा कि हमारा मानना है कि कंपनी की ओर से जांच के संबंध में कुछ और खुलासे हो सकते थे। फिलहाल, बाजार की प्रतिक्रिया यह है कि उसे इसके बारे में पता नहीं था।

इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज के संस्थापक श्रीराम सुब्रमण्यण को उम्मीद है कि अदाणी समूह को उच्च उधारी लागत का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आरोपों का यह अलग आयाम है क्योंकि यह पहली बार है जब समूह अमेरिका में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के आधिकारिक आरोपों का सामना कर रहा है।

इसका मतलब है कि उधार लेने की लागत में वृद्धि के कारण परियोजना की वित्तपोषण लागत और प्रतिष्ठा पर बड़ा असर पड़ेगा। अदाणी समूह निश्चित रूप से ऊपर की अदालतों में अपील करेगा और निपटान प्रक्रिया जैसे अन्य उपलब्ध कानूनी रास्ते अपनाएगा। समूह अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा करने की कोशिश करेगा लेकिन इस बीच परियोजना की उधारी लागत बढ़ जाएगी।

आरोपों के बाद प्रवर्तन निदेशालय और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और ईडी जैसी भारतीय जांच एजेंसियों के अगले कदम को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। कई कानूनी विशेषज्ञों की राय है कि बाजार नियामक शायद तुरंत कदम नहीं उठाएगा।

अमेरिका में प्रतिभूति बाजार नियामक एसईसी ने अधिकारियों के आचरण के आलोक में भ्रष्टाचार विरोधी और रिश्वत विरोधी प्रयासों पर अदाणी ग्रीन के बयानों को एकदम गलत या भ्रामक बताया है।

सुब्रमण्यन ने कहा, जहां तक भ्रामक बयानों का सवाल है, वे अमेरिका में फंड जुटाने के दौरान दिए गए थे। यह सेबी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। हालांकि सेबी और ईडी पर कुछ जांच करने का दबाव रहेगा। यह देखने की जरूरत है कि जांच एजेंसियां घटनाक्रम पर क्या कदम उठाती हैं।

एक अन्य प्रॉक्सी सलाहकार फर्म के अगले कुछ दिनों में आरोपों पर अपना बयान जारी करने की उम्मीद है। मूडीज रेटिंग्स ने अदाणी समूह की पूंजी तक पहुंच की क्षमता पर भी चिंता जताई है।

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि रिश्वत मामले में अदाणी समूह के अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पर अभियोग समूह की कंपनियों के लिए नकारात्मक हैं। अदाणी समूह का आकलन करते समय हमारा मुख्य ध्यान समूह की कंपनियों की नकदी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूंजी तक पहुंचने की क्षमता और गवर्नेंस की उनकी पद्धति पर रहता है।

यह बयान अदाणी ग्रीन एनर्जी के प्रस्तावित अमेरिकी डॉलर मूल्य वर्ग वाले बॉन्ड पेशकश नहीं लाने के फैसले के बाद आया है। भारत में अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट आई। इसका प्रभाव बैंकिंग शेयरों और व्यापक बाजार की बिकवाली में भी दिखा।

First Published : November 21, 2024 | 10:32 PM IST