जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) को खरीदने की होड़ में अदाणी समूह सबसे आगे चल रहा है। इस मामले से वाकिफ लोगों ने कहा कि अदाणी समूह ने जेएएल के लिए 12,500 करोड़ रुपये की बोली लगाई है। सूत्रों ने कहा कि समूह ने अग्रिम भुगतान के रूप में 8,000 करोड़ रुपये बिना किसी शर्त देने का प्रस्ताव दिया है। जेएएल फिलहाल समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है।
डालमिया समूह भी जेएएल खरीदने की दौड़ में शामिल है और वह अदाणी से भी अधिक रकम देने के लिए तैयार है। हालांकि, डालमिया ने यह शर्त रखी है कि पहले जेएएल की स्पोर्ट्स परियोजना से जुड़ी एक बड़ी कानूनी बाधा दूर होनी चाहिए। यह कानूनी मामला फिलहाल उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है।
मार्च में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (वाईईआईडीए) का वह आदेश बरकरार रखा था जिसमें नई दिल्ली के नजदीक स्पोर्ट्स सिटी के लिए 1,000 हेक्टेयर भूमि का आवंटन रद्द कर दिया गया था। इससे जेएएल को बड़ा झटका लगा था।
राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (एनएआरसीएल) की अगुवाई मे ऋणदाताओं की समिति अगले सप्ताह समाधान आवेदकों से बातचीत शुरू कर सकती है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। एनआरसीएल ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई वाले एक कंसोर्टियम से जेएएल के ऋण का एक बड़ा हिस्सा खरीद लिया था।
जेएएल खरीदने की होड़ में अदाणी और डालमिया भारत के अलावा तीन अन्य कंपनियां भी हैं जिनमें पीएनसी इन्फ्रास्ट्रक्चर, वेदांत और जिंदल स्टील ऐंड पावर शामिल हैं। इन कंपनियों ने जेएएल के लिए अपनी समाधान योजनाएं सौंपी हैं।
जेएएल पर ऋणदाता 59,000 करोड़ रुपये से अधिक रकम बकाया होने का दावा कर रहे हैं। पिछले साल 3 जून को कंपनी के लिए ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया प्रक्रिया की शुरुआत हुई थी। कंपनी की परिसंपत्तियां सीमेंट, निर्माण, आतिथ्य और रियल एस्टेट क्षेत्र में हैं। ग्रेटर नोएडा में जेपी ग्रीन्स, नोएडा में विश टाउन और जेवर में बन रहे अंतरराष्ट्रीयन हवाई अड्डे के निकट जेपी इंटरनैशनल स्पोर्ट्स सिटी भी शामिल हैं।
वर्ष 1995 में स्थापित जेएएल की कुल परिसंपत्तियां 36,140 करोड़ रुपये से अधिक हैं। इनमें रियल एस्सेट कारोबार की सबसे अधिक (19,119 करोड़ रुपये) हिस्सेदारी है। वित्त वर्ष 2024 में कंपनी का कुल राजस्व 6,568 करोड़ रुपये रहा था। जेएएल की समूह संरचना में सीमेंट, एक्सप्रेसवे, बुनियादी ढांचा विकास, उवर्रक, विमानन कारोबार और कृषि हैं।
अंतिम निर्णय लेने का अधिकार ऋणदाताओं की समिति के पास ही होगा। समिति कुल बोली मूल्य, अग्रिम भुगतान और समाधान योजना के ढांचे के आधार पर सबसे अनुकूल प्रस्ताव का चयन कर सकती है। इस पूरे मामले की अधिक जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि समिति संकुल आधारित समाधान योजना मंजूर नहीं कर सकती है क्योंकि बोलियां ऋणदाताओं की उम्मीदों के काफी करीब रही हैं।