देश की स्टार्टअप कंपनियों के मामले में चूंकि रकम जुटाने की कवायद में तथाकथित नरमी जारी है, इसलिए देश में वेंचर कैपिटल (वीसी) का तारतम्य बिगड़ रहा है। टाइगर ग्लोबल, सिकोया, सॉफ्टबैंक, एक्सेल और वाई कॉम्बिनेटर जैसी विदेशी फर्मों ने अपने हाथ तकरीबन खींच लिए हैं।
टाइगर और एक्सेल ने पिछले साल की समान अवधि की तुलना में वर्ष 2023 में अब तक अपने निवेश में 97 प्रतिशत तक की गिरावट देखी है। बाजार पर नजर रखने वाले प्लेटफॉर्म ट्रैक्सन के आंकड़ों के अनुसार इस मामले में सिकोया में 95 प्रतिशत, वाई कॉम्बिनेटर में 87 प्रतिशत और सॉफ्टबैंक में 80 प्रतिशत की कमी आई है।
भारत में स्टार्टअप की फंडिंग में विदेशी पैसा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वर्ष 2022 में भारतीय स्टार्टअप कंपनियों ने 26.8 अरब डॉलर की जो रकम जुटाई थी, उनमें से 26 अरब डॉलर की रकम विदेशी निवेशकों की भागीदारी वाले दौरों से आई थी।
हालांकि इस साल देश की स्टार्टअप कंपनियों में विदेशी निवेश अब तक 72 प्रतिशत घटकर 4.58 अरब डॉलर रह गया है, जबकि पिछले साल समान अवधि में यह निवेश 16.2 अरब डॉलर था। सौदों की संख्या 852 से लुढ़ककर 241 रह गई है।
टाइगर को अक्सर भारत की यूनिकॉर्न मशीन कहा जाता है, जिसने फ्लिपकार्ट, ओला, जोमैटो और 37 अन्य स्टार्टअप का समर्थन किया है, जो बाद में यूनिकॉर्न बन गई। एक्सेल फ्लिपकार्ट और फ्रेशवर्क्स की शुरुआती समर्थक थी। जापान के सॉफ्टबैंक ने ओयो, डेल्हीवरी, पेटीएम, मीशो, ब्लिंकइट, लेंसकार्ट और कई अन्य स्टार्टअप में निवेश किया है।
दूसरी तरफ देश में विकसित वीसी फर्मों ने भारत पर केंद्रित निवेश के लिए पिछले दो महीने में खासी पूंजी जुटाई है। मल्टीपल्स अल्टरनेट ऐसेट मैनेजमेंट 64 करोड़ डॉलर फंड के साथ इस समूह की अगुआई कर रही है, इसके बाद 3वन4 कैपिटल (20 करोड़ डॉलर), चिराटे वेंचर्स (12 करोड़ डॉलर) और स्ट्राइड वेंचर्स ( 10 करोड़ डॉलर) का स्थान है।
मैट्रिक्स पार्टनर्स, जिसके पोर्टफोलियो में ओला और रेजरपे हैं, ने अपने भारत-केंद्रित फंड के लक्ष्य का आकार 45 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर 52.5 करोड़ डॉलर कर दिया है।
हालांकि ट्रैक्सन के आंकड़ों के अनुसार भारतीय वीसी फर्मों द्वारा किया जाने वाला निवेश भी इस साल अब तक गिरकर 1.75 अरब डॉलर रह गया है, जो पिछले साल की समान अवधि के दौरान 12.3 अरब डॉलर था।
इसका मतलब है कि यह पूरी रकम उगाही, निवेश के बजाय ‘ड्राई पाउडर’ (उद्योग की भाषा में वह फंड जो उपलब्ध तो होता है, लेकिन इस्तेमाल नहीं किया जाता) में जुड़ रही है। मार्च 2023 तक भारत-केंद्रित निजी इक्विटी और वेंचर कैपिटल भागीदारों के पास 15.64 अरब डॉलर का ड्राई पाउडर था, जो वर्ष 2022 के अंत में 12.88 अरब डॉलर था।
निवेश डेटा फर्म प्रिकिन के अनुसार वर्ष 2016 के बाद से यह अब तक की बिना निवेश वाली सर्वाधिक पूंजी है।
कैलिफोर्निया की वाई कॉम्बिनेटर, जिसे जेपटो, ग्रो और मीशो को समर्थन देने के लिए जाना जाता है, इस साल अब तक 14 सौदों के साथ भारत में सबसे सक्रिय विदेशी निवेशक बनी हुई है।