प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के लाभार्थी सिलिंडर रिफिल की ऊंची कीमत के बावजूद सालान करीब तीन सिलिंडर की खपत के स्तर को बनाए हुए हैं।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक सितंबर, 2021 तक जुटाए गए आंकडों के हिसाब से इस साल के लिए वार्षिक खपत प्रति लाभार्थी करीब 3.7 रिफिल है।
वरिष्ठ अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि यह आंकड़ा रसोई गैस (एलपीजी) सिलिंडर रिफिलों के लिए अतिरिक्त डेटा पर आधारित है। लेकिन जलावन की लकड़ी की उपलब्धता के हिसाब से साल के अंत तक इस आंकड़े में बदलाव हो होगा।
तेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘चूंकि लोगों ने भोजन पकाने के लिए अब तक पूरी तरह से जलावन या उपलों से दूरी नहीं बनाई है लिहाजा पीएमयूवाई के लाभार्थी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ईंधन के दूसरे स्रोतों के साथ ही एलपीजी का भी उपयोग कर रहे हैं। बरसात के दिनों में सूखी लकड़ी की उपलब्धता की समस्या होती है लिहाजा उस
दौरान रसोई गैस की खपत में इजाफा होता है।’
पीएमयूवाई के लाभार्थी 2019-20 में 3.01 सिलिंडर रिफिल और 2018-19 में तीन रिफिल के स्तर पर थे। तब रसोई गैस की कीमत को बजट में सब्सिडी के जरिये विनियमित किया जाता था जिसमें प्रति सिलिंडर कीमत 500 रुपये के आसपास रखने के लिए हर महीने सब्सिडी की रकम में बदलाव होता था।
फिलहाल 14.2 किलोग्राम के घरेलू एलपीजी सिलिंडर की बिक्री बाजार कीमतों पर की जा रही है लेकिन सरकार देश के कुछ हिस्सों में उपभोक्ताओं के हित में भाड़े पर सिब्सडी दे रही है। प्रति सिलिंडर भाड़े पर दी जा रही सब्सिडी 30 रुपये से कम होती है जिसका उपयोग किसी राज्य के भीतर कीमतों में समानता रखने के लिए किया जाता है।
इंडेन के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में घरेलू रसोई गैस सिलिंडर की कीमत अब 884.50 रुपये है। घरेलू सब्सिडीयुक्त सिलिंडर को भरवाने के लिए दी जाने वाली यह अब तक की सबसे अधिक कीमत है।
पीएमयूवाई के लाभार्थी औसतन साल में तीन सिलिंडर के आपपास खपत करते हैं। वर्ष 2020-21 अपवाद रहा जब वार्षिक खपत की संख्या 4.39 रिफिल तक पहुंच गई थी। ऐसा इसलिए हुआ था कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज के पहले चरण में मई 2020 में केंद्र सरकार ने उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को तीन बार गैस रिफिल मुफ्त में मुहैया कराई थी।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने ग्रामीण और वंचित परिवारों को रसोई गैस मुहैया कराने के लिए पीएमयूवाई को एक अग्रणी योजना के तौर पर शुरू किया था। इस योजना के तहत कम आय वाले लक्षित परिवार भोजन पकाने के लिए जलावन, कोयला और गाय के गोबर से बने उपले आदि जैसे परंपरागत ईंधनों का इस्तेमाल कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्ज्वला योजना की शुरुआत 1 मई, 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया से की थी।
