थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति मई में कम होकर 0.39 प्रतिशत रह गई, जो पिछले 14 महीनों में सबसे कम आंकड़ा है। अप्रैल में इसका आंकड़ा 0.85 प्रतिशत था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से जारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य वस्तुओं और ईंधन के दाम घटने के कारण थोक मुद्रास्फीति गिरी है। आंकड़ों के अनुसार विनिर्मित उत्पादों की महंगाई में भी कमी दर्ज की गई। प्राथमिक खाद्य वस्तुओं के दाम लगातार दूसरे महीने कम हुए और उनमें 1.56 प्रतिशत कमी आई। सब्जियों के दाम 21.6 प्रतिशत, दलहन 10.4 प्रतिशत, आलू 29.4 प्रतिशत और प्याज के दाम 14.4 प्रतिशत कम हुए।
मंत्रालय ने बताया कि अंडा, मांस और मछली जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ की कीमतें भी लगातार दूसरे महीने घटीं और इनमें करीब 1.01 प्रतिशत गिरावट आई। मई में अनाज के दाम 2.56 प्रतिशत, धान 0.96 प्रतिशत और गेहूं की कीमत 5.75 प्रतिशत कम रहीं। मगर फलों के दाम 10.17 प्रतिशत और दूध के मूल्य 2.66 प्रतिशत बढ़े।
केयरएज रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति कम रहने की संभावना बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि सामान्य से अधिक मॉनसून के अनुमान से कृषि उत्पादन बढ़ने की उम्मीद, हाल में खाद्य तेलों पर आधार सीमा शुल्क में कमी और जलाशयों में पर्याप्त पानी होने से खाद्य मुद्रास्फीति नियंत्रण में रह सकती है।
दुनिया भर में खनिज तेल के दाम गिरने से मई में ईंधन एवं बिजली भी 2.27 प्रतिशत सस्ती हो गई। पेट्रोल की कीमत 8.5 प्रतिशत और डीजल की 5.61 प्रतिशत कम हुई। मगर मई में रसोई गैस 0.25 प्रतिशत महंगी हो गई।
विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति घटकर 2.04 प्रतिशत रह गई। विनिर्मित खाद्य वस्तुओं के दाम में 8.45 प्रतिशत, कागज उत्पाद में 1.67 प्रतिशत, रसायन में 1.03 प्रतिशत और रबर के दाम में 0.94 प्रतिशत गिरावट का इसमें प्रमुख योगदान रहा। मूल धातुओं के दाम मई में 3.11 प्रतिशत, सेमी-फिनिश्ड स्टील के 2.7 प्रतिशत और सीमेंट, चूना एवं प्लास्टर के दाम 0.53 प्रतिशत कम हो गए।
सिन्हा ने कहा, ‘वैश्विक आर्थिक वृद्धि पर चिंता और अब इजरायल-ईरान युद्ध से बदतर हुए हालात के कारण दुनिया में औद्योगिक धातुओं की कीमतें कम हुई हैं। इस्पात और एल्युमीनियम पर अमेरिका द्वारा शुल्क लगाने से आपूर्ति बढ़ने का डर अधिक हो गया है। पश्चिम एशिया में तनाव और बढ़ने से कच्चे तेल के दाम चढ़ने लगे हैं।‘
मई में खुदरा मुद्रास्फीति भी कम होकर 2.82 प्रतिशत रह गई, जो 75 महीने का सबसे निचला स्तर है। सब्जियों के दाम में दो अंकों में कमी और दलहन के भाव में पिछले छह वर्षों की सबसे तेज गिरावट के कारण खुदरा मुद्रास्फीति घटी है।