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Wheat procurement: गेहूं की सरकारी खरीद लक्ष्य से 15 फीसदी पिछड़ी

देश में गेहूं का स्टॉक 16 साल के निचले स्तर पर पहुंचने के बीच इस साल गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य नहीं हो सकेगा पूरा, जबकि इस साल गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार हुई है।

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रामवीर सिंह गुर्जर   
Last Updated- June 14, 2024 | 4:44 PM IST

देश में इस साल गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद इसकी सरकारी खरीद लक्ष्य से पिछड़ गई है। मध्य प्रदेश को छोड़कर बाकी राज्यों में गेहूं की खरीद बंद हो चुकी है और इस राज्य में भी खरीद ना के बराबर हो रही है। गेहूं की सरकारी खरीद बड़ी मुश्किल से पिछले साल के पार पहुंच पाई है और यह केंद्र सरकार के लक्ष्य से करीब 15 फीसदी कम है। यह कमी ऐसे समय में आई है, जब देश में गेहूं का स्टॉक गिरकर 16 साल के निचले स्तर तक चला गया है।

इस साल कितनी हुई गेहूं की सरकारी खरीद?
केंद्र सरकार के Central Food Grains Procurement Portal (CFGP) के आंकड़ों के मुताबिक विपणन वर्ष (marketing year) 2024-25 में अब तक 265.36 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है, जबकि पिछले साल गेहूं की कुल खरीद करीब 262 लाख टन थी। इस तरह इस साल गेहूं की सरकारी खरीद पिछले साल की तुलना में महज एक फीसदी अधिक है। जबकि इस साल देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है।

लक्ष्य से कितने पीछे रह गई गेहूं की सरकारी खरीद?
केंद्र सरकार ने विपणन वर्ष 2024-25 में 310 से 320 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था, जो पिछले साल की खरीद 262 लाख टन से करीब 18 से 22 फीसदी ज्यादा था। लेकिन गेहूं की सरकारी खरीद करीब 265 लाख टन ही हुई है, जो लक्ष्य 310 लाख टन ही मानने पर इससे करीब 15 फीसदी कम है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) का अनुमान तो 372 लाख टन गेहूं खरीद का था। केंद्र सरकार ने इस साल विभिन्न सरकारी एजेंसियों के माध्यम से अब तक करीब 20 लाख किसानों से एमएसपी पर गेहूं खरीदा और उन्हें करीब 58,268 करोड़ रुपये का भुगतान किया।

गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य क्यों नहीं हो पाया पूरा?
गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं होने की बड़ी वजह मध्य प्रदेश में इसकी खरीद पिछले साल से काफी कम होना है। मध्य प्रदेश में इस साल अब तक करीब 48.40 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई है, जो पिछले साल की कुल खरीद 71 लाख टन से 32 फीसदी कम है। गेहूं की कम खरीद को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने गेहूं खरीद की तारीख 25 जून तक बढ़ा दी है। लेकिन इस माह गेहूं की खरीद ना के बराबर ही हो रही है। जानकारों के अनुसार इस राज्य में गेहूं की सरकारी खरीद में कमी की वजह मंडियों में गेहूं के भाव सरकारी खरीद मूल्य से अधिक होना है। इसलिए किसान सरकारी खरीद केंद्रों पर गेहूं बेचने की बजाय मंडियों में बेच रहे हैं। साथ ही आगे ज्यादा भाव मिलने की उम्मीद में गेहूं को रोककर भी रख रहे हैं। मध्य प्रदेश के अलावा गेहूं की सरकारी खरीद के दो प्रमुख राज्य पंजाब व हरियाणा में पिछले साल से गेहूं की खरीद ज्यादा हुई है। इस साल अब तक पंजाब में करीब 124.50 लाख टन और हरियाणा में करीब 71 लाख टन खरीद हुई है, जो पिछले साल इन राज्यों में हुई खरीद क्रमश: 121 और 63 लाख टन से अधिक है।

खरीद लक्ष्य पूरा न होने गेहूं का स्टॉक 16 साल के निचले स्तर पर
बीते दो-तीन साल से गेहूं की सरकारी खरीद लक्ष्य से कम होने का असर इसके स्टॉक पर भी दिख रहा है। केंद्रीय पूल में एक जून को गेहूं का स्टॉक करीब 299 लाख टन दर्ज किया, जो 16 साल में सबसे कम है। साथ ही यह पिछले साल एक जून के करीब 314 लाख टन स्टॉक से भी कम है। इससे पहले 16 साल पूर्व एक जून 2008 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 300 लाख टन से नीचे करीब 241 लाख टन दर्ज किया गया था।

First Published : June 14, 2024 | 4:44 PM IST