सोयाबीन और सरसों तेल की वायदा कीमत में मंगलवार को गिरावट देखी गयी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोरी के रुख के बीच देश भर से इनकी बुआई के बेहतर नतीजे मिलने से इनकी कीमतों में ये कमी आयी है।
रेलीगेयर कमोडिटीज के एक विश्लेषक के मुताबिक, सोयाबीन के उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोतरी और इसकी वैश्विक कीमतों में कमी से इसकी घरेलू कीमतें प्रभावित हुई हैं। मंगलवार को सबसे ज्यादा सक्रिय जुलाई अनुबंध में 2.39 फीसदी की कमी हुई और यह गिरकर 2,673.50 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गयी।
वहीं इसके अगस्त अनुबंध में भी 2.39 फीसदी की कमी हुई और यह 2,651 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर तक पहुंच गयी है। सितंबर अनुबंध में भी 2.30 फीसदी की कमी हुई है और यह 2,633 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गयी है। सोयाबीन कारोबार का मुख्य केंद्र इंदौर के हाजिर बाजार में सोयाबीन की कीमत फिलहाल 1,775 रुपये प्रति क्विंटल पर टिकी है।
खबर है कि सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 3 जुलाई तक बढ़कर पिछले साल के 22.07 हेक्टेयर की तुलना में 24.82 लाख हेक्टेयर हो चुका है। शिकागो में सोयाबीन के भाव ने सोमवार को 1,579 सेंट प्रति बुशेल के न्यूनतम सर्किट को छू लिया। ऐसा साफ मौसम के पूर्वानुमान और कच्चे तेल की कीमतों में कमजोरी आने के संकेत से हुआ है। वहीं जुलाई अनुबंध के सौदे में 0.69 फीसदी की गिरावट हुई और यह भी 1,589 सेंट प्रति बुशेल के स्तर तक पहुंच गया।
हालांकि, सोया तेल की जुलाई डिलीवरी की कीमत में 2.44 फीसदी की गिरावट आयी और प्रति पाउंड इसकी कीमत 64.89 सेंट रह गई। उधर सोयाबीन में गिरावट का असर सरसों बीज के वायदा कीमतों पर भी पड़ा और इसकी कीमतों में कमी आना जारी रहा है। कार्वी कॉमट्रेड के विश्लेषक वीरेश हीरेमठ ने बताया कि मानसून के आने और इसकी बुआई की गतिविधियां शबाब पर होने से सरसों की कीमतों पर असर पड़ा है।
जुलाई अनुबंध की कीमत में 1.30 फीसदी की कमी हुई और 20 किलोग्राम सरसों की कीमत लुढ़ककर 639 रुपये तक पहुंच गयी। सितंबर महीने के वायदा अनुबंध का भाव 1.50 फीसदी लुढ़ककर 667.80 रुपये प्रति 20 किलो रह गया। जबकि नवंबर अनुबंध के सरसों की कीमत 1.73 फीसदी लुढ़ककर 679.35 रुपये प्रति 20 किलोग्राम रह गयी।