वैश्विक तापमान में होती बढ़ोतरी का प्रभाव टमाटर उगाने वाले किसानों और इस क्षेत्र के थोक डीलरों पर पड़ना शुरू हो गया है। इस साल 25,000 से अधिक किसानों को परिपक्व होने से पहले ही टमाटर फलों के पकने से भारी घाटा हुआ है।
टमाटर की फसल ईश्वरीगंज और परतापुर क्षेत्र के हजारों एकड़ में फैली हुई है। पिछले साल टमाटर की फसल से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल की कमाई हुई थी जबकि जल्द कटाई के कारण आवक में हुई बढ़ोतरी से फिलहाल यह 50 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचा जा रहा है।
सामान्य परिस्थितियों मे साल के इस वक्त कुल फसल का 30 से 40 प्रतिशत ही बाजार में आ पाता है। इस साल टमाटर को सड़न से बचाने के लिए कुल फसल का लगभग 80 प्रतिशत पहले ही बेचा चुका है।
थोक व्यापारी टमाटर की फसल को हुए नुकसान के लिए नवंबर के असामान्य तापमान को जिम्मेदार ठहराते हैं। कानपुर सब्जी एवं फल व्यापार संघ के सदस्य राघवेंद्र सिंह ने कहा, ‘हमने किसानों से पहले उनके उत्पादों की बिक्री के लिए समझौता कर लिया था लेकिन मौसम में हुए अप्रत्याशित बदलाव की वजह से हमारे अनुमान गलत साबित हुए।’
सिंह ने कहा, ‘पिछले साल हरियाणा, दिल्ली और मध्य प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में टमाटर से लदे 50 से 60 ट्रक भेजे गए थे लेकिन इस साल टमाटर की खपत प्रमुख तौर पर स्थानीय स्तर पर की जा रही है क्योंकि इसके भंडारण अवधि में जबरदस्त कमी आई है।’
चंद्रशेखर कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर आर पी कटियार ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया दिन के समय अधिक गर्मी और शाम को ठंड बढ़ने के परिणामस्वरूप परिपक्व होने से पहले ही टमाटर के फल पकने लगे हैं और मौसम ऐसा ही बना रहता है तो पूरी की पूरी स्थानीय फसल 15 दिनों में समाप्त हो जाएगी।
राघवेंद्र के अनुसार, जिन पौधों की खरीदारी उन्होंने 2 से 3 लाख रुपये में की थी उससे मुश्किल से 20,000 से 30,000 रुपये प्राप्त हो रहे हैं। सिंह ने कहा, ‘हमारे पास नुकसान उठाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है क्योंकि उत्पादन से पहले ही हमने कानूनी तौर पर समझौता कर लिया था।’
किस्सा यहीं समाप्त नहीं होता। बाजार कीमतें अभी भी 6 से 8 रुपये प्रति किलोग्राम है और बिचौलिए भारी मुनाफा अर्जित कर रहे हैं। सबसे अधिक नुकसान किसानों और उपभोक्ताओं को हो रहा है क्योंकि खुदरा कीमतें 1,200 रुपये प्रति क्विंटल चल रही हैं।
इस बात का कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं किया गया है कि 700 रुपये प्रति क्विंटल के भारी मार्जिन का लाभ किसे पहुंच रहा है। प्रभावित किसानों के लिए किसान नेता आसान ऋण उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं। एक स्थानीय किसान नेता के के शुक्ला ने कहा, ‘हमारी हालत की परवाह कोई नहीं कर रहा है।’