चीनी की अच्छी पैदावार, सही मानसून की दस्तक और बंपर स्टॉक के चलते चीनी की कीमतें दबाव में दिखाई देने लगी है।
मानसून आने के बाद मिल मालिकों और कारोबारियों के लिए चीनी को अपने गोदामों में देर तक रोके रखना बड़ा मुश्किल है। चीनी को नमी से बचाने के लिए जरूरी है कि वे अपने भंडार को थोड़ा ढीला करें। इस वजह से चीनी की कीमतों में अभी और गिरावट देखने को मिल सकती है।
पिछले कई दिनों से चीनी की कीमतों पर कमी का दबाव दिख रहा है। जून महीने के वायदा कारोबार की एक्सपायरी तारीख 20 जून को खत्म होने वाली है, जिसके कारण चीनी वायदा में भी मंदी दिख रही है। उधर, हाजिर बाजार के संकेत भी तेजी की ओर इशारा नहीं कर रहे हैं। कल चीनी के वायदा कारोबार में 21 रुपये की भारी गिरावट हुई थी।
एनसीडीईएक्स के चीनी वायदा के मौजूदा भाव 428 रुपये से लुढक़ कर 1407 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गए। वहीं दूसरी ओर हाजिर बाजार में भी चीनी की कीमत 5 रुपये नीचे खिसक गई। इसकी वजह इस समय बाजार में स्टॉक की अधिकता को बताया जा रहा है। जानकारों के मुताबिक, इस समय चीनी मिलों में करीब 20 लाख टन चीनी का स्टॉक पड़ा हुआ है, जिसे 6 महीने के अंदर निकालना होगा। इस महीने कोटे केअलावा 20 लाख टन चीनी मिलों को बेचना है।
बाजार में चीनी की कीमत पर छायी मंदी को लेकर चीनी कारोबारी और मुंबई शुगर मर्चेन्ट असोसिएशन के अध्यक्ष मोहन गुरनानी ने कहा कि बाजार में माल की अधिकता और खरीदारों की कमी से चीनी के भाव में नरमी है। पर इसका ये मतलब कतई नहीं कि कीमतों में कोई बहुत बड़ा उलटफेर होने वाला है।