बाजार की सेहत को सही करने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है और इससे कुछ आशा भी जगी है, लेकिन आगामी खरीफ सीजन तक कृषि बाजार के स्वास्थ्य खराब होने के आसार अभी से नजर आ रहे हैं।
मक्का हो या दाल या फिर चीनी, सबका बाजार मांग एवं उत्पादन में होने वाले अंतर के कारण तेज होने जा रहा है। इसके अलावा रुपये के मूल्य में हो रही लगातार गिरावट के कारण भी आयातित कृषि जिंसों की कीमत बढ़ सकती है।
अनुमान के मुताबिक इस साल खरीफ के अनाजों का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 3.4 फीसदी कम होने जा रहा है। पिछले साल इस दौरान 11.45 करोड़ टन का उत्पादन हुआ था जबकि इस साल यह उत्पादन 11.05 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
दाल
दालों की वेरायटी में सबसे अधिक तेजी मसूर दाल में है। 6 सप्ताह के दौरान इसकी कीमत में 400 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा हुआ है। पिछले साल के मुकाबले तो इसके भाव 60 फीसदी से अधिक बढ़े हैं। फिलहाल देश में 4300-5200 रुपये प्रति क्विंटल के बीच इसके दाम है।
हालांकि मूंग, उड़द एवं चने की दाल में पिछले दो सप्ताह के दौरान गिरावट दर्ज की गयी है। लेकिन अरहर अपने बढ़े हुए स्तर पर कायम है। राजस्थान से मूंग की आवक में तेजी के कारण यह प्रति क्विंटल 100 रुपये तो आस्ट्रेलिया एवं अन्य देशों से चने के आयात से यह 200 रुपये प्रति क्विंटल तो उड़द 250 रुपये प्रति क्विंटल कमजोर हुआ है।
लेकिन दालों के उत्पादन में इस साल 27 फीसदी की कमी की संभावना के मद्देनजर थोक कारोबारियों का कहना है कि दीपावली तक मांग निकलने एवं डॉलर के मुकाबले रुपये में आयी गिरावट के कारण इनकी कीमतें तेज हो जाएंगी।
चीनी
पिछले साल अक्टूबर महीने के पहले सप्ताह के दौरान देश में चीनी की औसत कीमत 1475 रुपये प्रति क्विंटल थी जो इस साल समान अवधि के दौरान 2000 रुपये प्रति क्विंटल है। इसकी कीमत और बढ़ने जा रही है। पिछले साल के मुकाबले इस साल गन्ने के उत्पादन में 13 फीसदी की कमी आने की संभावना है। पिछले साल 34.10 करोड़ टन गन्ने का उत्पादन हुआ था।
तेल
खाद्य तेलों की कीमत इसलिए नहीं बढ़ेगी कि मलेशिया में पाम ऑयल का स्टॉक काफी अधिक है और इन दिनों इसकी कीमत (सीपीओ – 315 रुपये प्रति दस किलोग्राम) अपने दो साल के न्यूनतम स्तर पर है।
खाद्य तेलों में सोयाबीन को छोड़ अन्य सभी तिलहन के उत्पादन में गिरावट के आसार हैं। पिछले साल सभी तिलहनों की कुल फसल 190 लाख टन थी जो इस साल घटकर लगभग 180 लाख टन के आसपास रहने की संभावना है।
सूरजमुखी के उत्पादन में 30 फीसदी, मूंगफली के उत्पादन में 18 फीसदी, तिल के उत्पादन में 29 फीसदी तो रेंडी के उत्पादन में 8 फीसदी की गिरावट की संभावना जाहिर की जा रही है। सोयाबीन के उत्पादन में 9.5 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है।