विकसित और विकासशील देशों से मांग में हो रही कमी के मद्देनजर धातुओं की कीमतों में इस हफ्ते कमी की संभावना है।
दुनिया भर में आर्थिक हालात विशेषकर आवासीय सेक्टर के खराब होने से औद्योगिक धातुओं की मांग कम होने से कीमतों के घटने का अंदाजा लगाया जा रहा है। अमेरिका में नौकरियों में 2001 के बाद हुई सबसे अधिक कटौती के चलते वहां तांबे की खपत पर बहुत ज्यादा असर पड़ने की संभावना है।
मालूम हो कि अमेरिका दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तांबा खरीदार है, जिसका कि ज्यादातर इस्तेमाल घरों और कारों में होता है। हाल यह है कि इस समय अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ के देशों की अर्थव्यवस्थाएं मंदी के शिकार हैं।
दूसरी ओर दुनिया में मूल धातुओं के सबसे बड़े उपभोक्ता चीन की अर्थव्यवस्था के मौजूदा वित्तीय वर्ष में 7.5 फीसदी की दर से तरक्की करने के आसार हैं। लंदन मेटल एक्सचेंज द्वारा नियंत्रित गोदामों में इन धातुओं का भंडार काफी हो गया है।
चूंकि इस समय पूरी दुनिया के निर्माण क्षेत्र में नए प्रोजेक्टों की शुरुआत विरले ही हो रही है जबकि चल रहे निर्माण कार्य भी काफी बाधित हुए हैं। हाल यह है कि एलएमई के भंडारों में इस शुक्रवार को धातुओं का भंडार 2,91,650 टन तक पहुंच गया।
इस महीने भंडार में हुई यह लगातार उन्नीसवीं बढ़ोतरी है। इस तरह, वर्तमान में इन धातुओं का भंडार फरवरी 2004 के बाद सर्वाधिक स्तर तक पहुंच गया है।
अंतरराष्ट्रीय तांबा अध्ययन समूह (आईसीएसजी) के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2008-09 में उपभोग के बाद बचा तांबा 75 हजार टन को पार कर गया है।
मालूम हो कि पिछले साल की समान अवधि में तांबे का यह सरप्लस भंडार महज 22 हजार टन ही था। हालांकि पिछले हफ्ते मूल धातुओं की कीमतों में बीते हफ्ते अस्थिरता का दौर जारी रहा।
तांबे की बात करें तो मंगलवार को इसकी कीमत 3,565 डॉलर प्रति टन तक गिर गई थी। बाद में इसमें सुधार हुआ और यह 3,742 डॉलर तक पहुंच गया।
हफ्ते के आखिर में इसमें फिर कमी हुई और यह 3,634 डॉलर तक पहुंच गया। इस तरह पिछले हफ्ते तांबे की कीमतों में 2.19 फीसदी की कमी हुई।
धातु उद्योग पर गहरी पकड़ रखने वालों की नजर में तांबे की कीमत फिलहाल इसकी उत्पादन लागत के आसपास मंडरा रही है। हालांकि कुछ दिन पहले की तुलना में इसकी कीमत ठीकठाक है।
इसी प्रकार अल्युमीनियम के दाम में बीते हफ्ते 1.08 फीसदी की कमी दर्ज हुई और भाव 1,758 डॉलर से गिरकर 1,739 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गए। जस्ते की कीमत में भी इस हफ्ते कमी हुई और यह 1,274.5 डॉलर प्रति टन से गिरकर 1,,206 डॉलर तक पहुंच गए।
जस्ते की कीमत में हुई यह कमी भी इसके भंडार के 18 लाख टन की सीमा को पार कर जाने से हुई। इस तरह इस साल की शुरुआत की तुलना में इसका भंडार तकरीबन दोगुना हो गया है, जबकि दिसंबर 1994 के बाद इसका भंडार सबसे ज्यादा है। बीते हफ्ते इसके भंडार में 6,975 टन की वृद्धि हुई।
सीसा की बात करें तो पिछले हफ्ते इसकी कीमत में सर्वाधिक कमी दर्ज हुई। इसकी कीमत 7.23 फीसदी लुढ़ककर 1,189 डॉलर से 1,103 डॉलर प्रति टन तक जा पहुंची है।