भारत में चीनी उत्पादन में गिरावट जारी है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) और नैशनल फेडरेशन आफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (NFCSF) के आंकड़ों के मुताबिक 15 दिसंबर तक चीनी उत्पादन पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 10.7 प्रतिशत कम रहा है।
इस्मा ने कहा है कि 15 दिसंबर तक करीब 74 लाख टन चीनी का उत्पादन 2023-24 सत्र में हुआ है, जो पिछले साल की तुलना में 10.7 प्रतिशत कम है । वहीं एनएफसीएसएफ की पेराई की रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में उत्पादन 9.2 प्रतिशत गिरकर 74.3 लाख टन है।
चीनी सत्र अक्टूबर से सितंबर तक चलता है। इस्मा और एनएफसीएसएफ में भारत में चलने वाली सभी निजी व सहकारी चीनी कंपनियां शामिल हैं।
इन आंकड़ों से इस साल एथनॉल बनाने के लिए चीनी का आवंटन बढ़ाने की उम्मीद धूमिल हो रही है। केंद्र ने इस महीने की शुरुआत में एथनॉल बनाने के लिए गन्ने के रस के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।
बहरहाल इस्मा ने एक बयान में कहा है कि 15 दिसंबर 2023 तक देश में चल रही चीनी मिलों की संख्या 497 हैं, जितनी पिछले साल की समान अवधि में चली थीं।
इस्मा ने कहा है कि इस साल महाराष्ट्र और कर्नाटक की चीनी मिलों ने करीब 10 से 15 दिन की देरी से काम शुरू किया।
वहीं दूसरी ओर एनएफसीएसएफ ने कहा है कि अलनीनो और बारिश की कमी के बावजूद प्रमुख गन्ना व चीनी उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में गति बरकरार है।
एनएफसीएसएफ ने उम्मीद जताई है कि अगर मौजूदा रफ्तार जारी रहती है तो 2023-24 सत्र में चीनी का शुद्ध उत्पादन 291 लाख टन रह सकता है, जो पिछले साल की तुलना में करीब 12 प्रतिशत कम होगा।
कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने एक आश्चर्यजनक फैसले में चीनी मिलों को गन्ने के रस से एथनॉल बनाने से रोक दिया था, जिससे कि चीनी का अतिरिक्त उत्पादन सुनिश्चित हो सके। चीनी के दाम पर काबू पाने और उपलब्धता में सुधार के लिए यह कदम उठाया गया है।
बहरहाल चीनी उद्योग सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध कर रहा है। तेल विपणन कंपनियां और खाद्य मंत्रालय मिलकर इसका रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं।