facebookmetapixel
सरकारी सहयोग मिले, तो एरिक्सन भारत में ज्यादा निवेश को तैयार : एंड्रेस विसेंटबाजार गिरे या बढ़े – कैसे SIP देती है आपको फायदा, समझें रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का गणितजुलाई की छंटनी के बाद टीसीएस के कर्मचारियों की संख्या 6 लाख से कम हुईEditorial: ‘इंडिया मोबाइल कांग्रेस’ में छाया स्वदेशी 4जी स्टैक, डिजिटल क्रांति बनी केंद्रबिंदुबैलेंस शीट से आगे: अब बैंकों के लिए ग्राहक सेवा बनी असली कसौटीपूंजीगत व्यय में इजाफे की असल तस्वीर, आंकड़ों की पड़ताल से सामने आई नई हकीकतकफ सिरप: लापरवाही की जानलेवा खुराक का क्या है सच?माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में पहली बार बदला संचालन और अनुपालन का ढांचादेशभर में कफ सिरप कंपनियों का ऑडिट शुरू, बच्चों की मौत के बाद CDSCO ने सभी राज्यों से सूची मांगीLG Electronics India IPO: निवेशकों ने जमकर लुटाया प्यार, मिली 4.4 लाख करोड़ रुपये की बोलियां

इस्पात उद्योग में आने लगी मजबूती

Last Updated- December 08, 2022 | 9:04 AM IST

पिछले एक पखवाड़े में कुछ चुनिंदा स्टील उत्पादों की कीमतों में उछाल आया है। जमा भंडार धीरे-धीरे कम हो रहा है और माल भाड़े में भी बढ़ोतरी होने लगी है।


लोहा और इस्पात उद्योग इन परिस्थितियों को बड़ी संजीदगी और उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है। उद्योग को उम्मीद है कि अगले साल की शुरुआत में मांग जोर पकड़ेगी।

स्टेनलेस स्टील में इस्तेमाल होने वाले कच्चा माल फेरोक्रोम की कीमत पिछले 15 दिनों में 40 हजार रुपये प्रति टन से 45 हजार रुपये प्रति टन के स्तर पर आ गई है और इसका असर स्टेनलेस स्टील की कीमत पर दिखने लगा है।

जिंदल स्टील के निदेशक (बिजनेस डिवेलपमेंट) अरविंद प्रकाश ने कहा कि वर्तन बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले स्टेनलेस स्टील की कीमत 2-3 रुपये प्रति किलो बढ़ी है और यह 51 रुपये प्रति किलो पर जा पहुंची है।

उन्होंने कहा कि दुनिया भर में उत्पादन में कटौती होने के वजह से स्टील की कीमतें मजबूत हो रही हैं।


अंतरराष्ट्रीय स्टील उत्पादकों ने उत्पादन में 20 से 40 फीसदी तक की कटौती की थी और इस वजह से कच्चे माल व तैयार माल की कीमतें स्थिर हुई हैं।

प्रकाश ने कहा कि माल भाड़ा बढ़ने की वजह से मालों की आवाजाही कम हो गई है। स्टॉकिस्ट के पास, सर्विस सेंटर पर और उपभोक्ता के स्तर पर माल काफी कम है यानी वहां स्टॉक काफी कम हो गया है।

उत्तम गैल्वा स्टील के निदेशक (वाणिज्य) अंकित मिगलानी ने कहा कि फिलहाल किसी के पास स्टॉक नहीं है। गौरतलब है कि उत्तम गाल्वा पश्चिमी भारत में हॉट रोल्ड कॉयल व गैलवनीकृत इस्पात के बड़े उत्पादक व निर्यातकों में से एक है। मिगलानी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें अपने निचले स्तर को छूकर वापस होने लगी हैं।

उन्होंने कहा कि पीक सीजन में हॉट रोल्ड कॉयल की कीमत 1200 रुपये प्रति टन थी, जो फिलहाल 600 रुपये प्रति टन पर उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि एक बार छुट्टी का सीजन समाप्त हो जाएगा और अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों के मुकाबले घरेलू कीमतें कम होंगी तब इस सेक्टर में जान आ जाएगी क्योंकि हॉट रोल्ड कॉयल के आयात पर पाबंदी लगा दी गई है।

भारत ने हॉट रोल्ड कॉयल के आयात को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया है। इसका मतलब ये हुआ कि इसका आयात इसके इस्तेमालकर्ता ही कर सकते हैं। मिगलानी ने कहा कि कुछ ऐसे सकारात्मक संकेत मिले हैं, जिससे लगता है कि जल्दी ही स्टील की मांग जोर पकड़ेगी।

उन्होंने कहा कि एक हफ्ते में माल भाड़े की  कीमत में काफी उछाल आया है। एक हफ्ते पहले चीन भेजा जाने वाला माल 3.5 डॉलर प्रति टन पर बुक किया जा रहा था, जो अब बढ़कर 8 डॉलर पर पहुंच गया है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (फिमी) के महासचिव आर. के. शर्मा ने कहा कि पिछले 10 दिनों में चीन से काफी मांग निकलकर आई है।

अच्छी क्वॉलिटी के लौह अयस्क का निर्यात मूल्य 50 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 58 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया है। अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी बंदरगाह पर लौह अयस्क का भंडार मध्य नवंबर में 30 लाख टन कम हो गया है।

स्टील बनाने में इस्तेमाल किया जाने वाला स्क्रैप भी एक महीने में 150 रुपये प्रति टन से 250 रुपये प्रति टन की छलांग लगा चुका है। जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वित्त) एस. राव ने कहा कि दिसंबर महीने में कुछ सकारात्मक संकेत मिले हैं।

ऑर्डर के लिए पूछताछ शुरू हो गई है और दिसंबर का स्टॉक नवंबर के मुकाबले कम हो गया है। हालांकि उन्होंने इस सेक्टर में तत्काल बदलाव की उम्मीद नहीं जताई। उन्होंने कहा कि इसके सुधार में कम से कम तीन महीने का वक्त तो लगेगा ही।

राव ने कहा कि फ्लैट स्टील सेक्टर को सामान्य होने में अभी वक्त लगेगा। गौरतलब है कि फ्लैट स्टील का इस्तेमाल मुख्य रूप से ऑटो और उपभोक्ता सामान में किया जाता है।

उन्होंने कहा कि निर्माण (कंस्ट्रक्शन) में इस्तेमाल किया जाने वाला लॉन्ग प्रॉडक्ट यानी सरिया आदि की मांग स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है।

First Published - December 15, 2008 | 12:09 AM IST

संबंधित पोस्ट