अटकलबाजी ने बढ़ाईं कीमतें

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 8:18 PM IST

अनुमान के आधार पर खाद्य पदार्थों में निवेश और बाजार की बहुत अधिक प्रतिक्रिया का हाल के दिनों में खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी में ज्यादा प्रभाव रहा।
वैश्विक खाद्य नीति पर विचार करने वाले एक समूह ने भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए खास नीति बनाने पर जोर दिया है, जिससे किसी भी संकट से बचा जा सके।
प्रस्तावित नीति में कहा गया है कि खाद्यान्न के एक छोटे भौतिक स्टॉक बनाए जाने की जरूरत है, जो खाद्य बाजार में खुफिया जानकारियों के आधार पर हस्तक्षेप करे, जिससे बाजार को कयासों से बचाया जा सके।
वाशिंगटन स्थित इंटरनैशनल फूड पालिसी रिसर्च इंस्टीच्यूट (आईएफपीआरआई) द्वारा जारी शोध में कहा गया है कि मांग और आपूर्ति का मूल सिध्दांत इस तरह से कीमतों में नाटकीय बढ़ोतरी को कहीं से भी व्याख्यायित नहीं करता। खासकर वर्ष 2008 के पहले 6 महीनों में तो ऐसी स्थिति कतई नहीं थी।
‘कीमतें बढ़ने के अनुमान, अफरातफरी ने भी खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। इसके साथ ही वित्तीय निवेशकों ने कृ षि जिंस बाजार में बड़े पैमाने पर निवेश किया है, जिसका असर पड़ा है।’
इस शोध पत्र में कहा गया है कि मई 2007 और मई 2008 के बीच मात्रा के लिहाज से वैश्विक रूप से अनाजों का फ्यूचर्स और ऑप्शन कारोबार बढ़ा है। इसमें अनुमानों के आधार पर निवेश हुआ। इसके अलावा अनुमान लगाने की गतिविधियां भी एक सूचक हैं। फ्यूचर ट्रेडिंग के मासिक मात्रा अनुपात में भी बढ़ोतरी हुई है।
वर्ष 2008 में सोयाबीन और चावल का खुले बाजार और वायदा कारोबार क्रमश: 27 प्रतिशत और 19 प्रतिशत बढ़ा है। वहीं गेहूं का अनुपात 19 प्रतिशत बढा है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इसके स्पष्ट प्रमाण हैं कि अटकलबाजी की गतिविधियों ने कीमतों की बढ़ोतरी में अहम भूमिका निभाई है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि परंपरागत विकल्प ऐसी स्थिति से निपटने के लिए नाकाफी हैं, क्योंकि केवल प्रचार के माध्यम से इससे नहीं बचा जा सकता है। यह वित्तीय और अन्य लिहाज से अप्रासंगिक हो गए हैं।
इसकी जगह पर रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि आपातकालीन खाद्यान्न भंडार बनाए जाने की जरूरत है जो 3,00,000 से 5,00,000 टन का हो और इसमें मूल अनाज शामिल हों। इसका प्रयोग बाजार में स्थितियों को बदलने और अगर किसी देश में जरूरत हो तो वहां मानवता के आधार पर सहायता पहुंचाई जा सके।

First Published : March 17, 2009 | 11:07 PM IST