जल्द ही ग्राहकों को अपने बगल की राशन की दुकानों पर छोटे रसोई गैस सिलिंडर और वित्तीय उत्पाद मिल सकते हैं। केंद्र सरकार देश की 6.3 लाख सस्ते गल्ले की दुकानों पर इस तरह के सामान की बिक्री की योजना पर काम कर रही है।
छोटे रसोई गैस सिलिंडर 14.2 किलोग्राम के सिलिंडर से छोटे होते हैं। 5 किलो रसोई गैस का सिलिंडर सबसे ज्यादा प्रचलन में है।
देश भर की राशन की दुकानों पर रसोई गैस और वित्तीय उत्पादों की बिक्री के बारे में खाद्य सचिव ने एक वर्चुअल बैठक में चर्चा की, जिसमें राज्य सरकारों के प्रतिनिधि व इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी, वित्त व पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस सहित अन्य संबंधित मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल थे।
केंद्र सरकार ने पहले ही कॉमन सिर्वस सेंटरों (सीएससी) को 14.2 किलो से कम के छोटे रसोई गैस सिलिंडर बेचने की मंजूरी दे दी है।
कुछ साल पहले उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के तहत आने वाले पेट्रोलियम एवं विस्फोट सुरक्षा संगठन (पेसो) ने बगैर किसी मंजूरी के 100 किलो रसोई गैस के भंडारण की अनुमति दे दी थी, जिसके बाद यह संभव हो सका है।
यह छोटे (5 किलो) रसोई गैस सिलिंडरों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए किया गया था ताकि तमाम खुदरा दुकानों पर इसकी बिक्री की जा सके। 100 किलो भंडारण का मतलब हुआ कि 5 किलो के 20 सिलिंडर बगैर किसी अनुमति के कहीं भी रखे जा सकते हैं।
इससे सीएससी छोटे सिलिंडर रखने में कानूनी रूप से सक्षम हो सके और अब यही प्रारूप सस्ते राशन की दुकानों पर भी लागू करने की कवायद की जा रही है, जिससे उन्हें छोटे सिलिंडरों की खुदरा बिक्री की अनुमति मिल सके।
पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि राशन की दुकान के मालिकों को केवल पंजीकृत डीलरों से ही सिलिंडर मंगाने होंगे मगर वे भरे और खाली सिलिंडर के आदान-प्रदान के केंद्र के रूप में काम कर सकते हैं। मंत्रालय के अनुसार राशन दुकानदार यह सेवा देने के लिए कुछ शुल्क ले सकतेे हैं। उन्होंने कहा कि छोटे सिलिंडर रखने और इन्हें बेचने की सुविधा देने के लिए पात्र राशन दुकानदारों का निर्धारण खाद्य विभाग करेगा। छोटे सिलिंडरों पर सब्सिडी नहीं दी जाती है और बाजार मूल्य पर ही इनकी बिक्री होती है।
आंकड़ों के अनुसार देश में रसोई गैस के जितने सिलिंडरों की बिक्री होती है, उनमें 14.2 किलोग्राम से कम वजन के सस्ते सिलिंडरों का हिस्सा काफी कम है। मगर सरकार छोटे सिलिंडरों के इस्तेमाल को बढ़ावा देती रही है। चूंकि राशन की दुकानें राज्य सरकार के अधीन होती हैं, इसलिए राज्य सरकारों की सक्रिय मदद के बिना ऐसी किसी योजना को अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सकता है। कुछ वर्षों पहले खबरें आई थीं कि गोवा ने राशन की दुकानों के जरिये छोटे रसोई गैस सिलिंडर बेचने की योजना तैयार की है।
इस बीच बैठक के बाद खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि राशन की दुकानों के जरिये छोटे रसोई गैस सिलिंडरों की बिक्री के प्रस्ताव का तेल विपणन कंपनियों के प्रतिनिधियों ने स्वागत किया है। बयान में कहा गया कि तेल विपणन कंपनियों ने इस योजना में रुचि रखने वाले राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों केे साथ समन्वय स्थापित करने में आवश्यक सहयोग देने का भरोसा दिया है। उचित मूल्य की दुकानों के जरिये वित्तीय सेवाएं देने के प्रस्ताव पर वित्तीय सेवा विभाग के प्रतिनधियों ने कहा कि राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करने में आवश्यक मदद दी जाएगी। बयान में कहा गया कि सरकार राशन दुकानदारों को पूंजी देने के लिए मुद्रा ऋ ण देने पर विचार कर रही है।