Silver Price Forecast: Kedia Advisory की एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2025 चांदी के लिए बेहद खास साबित हो रहा है। चांदी की कीमत इस साल लगभग दोगुनी हो चुकी है। इसकी वजह कई बड़े कारण हैं जो एक साथ असर डाल रहे हैं। इनमें सप्लाई की भारी कमी, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की बड़ी खरीद, अमेरिका में कमजोर आर्थिक संकेत और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती की उम्मीदें शामिल हैं। इन सभी कारणों ने चांदी की कीमतों को तेजी से ऊपर पहुंचाया है।
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने चांदी को महत्वपूर्ण खनिज की लिस्ट में डाल दिया है। इसके बाद यह आशंका बढ़ गई कि भविष्य में चांदी पर आयात शुल्क या अन्य नियंत्रण लगाए जा सकते हैं। इसी वजह से निवेशकों और उद्योगों ने तेजी से चांदी खरीदनी शुरू कर दी। इसी समय दुनिया भर में चांदी का भंडार भी काफी घट गया। शंघाई में स्टॉक 10 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। लंदन में भी चांदी का भंडार काफी कम रह गया है। अमेरिका के कॉमेक्स एक्सचेंज से भी बहुत अधिक चांदी बाहर निकाली गई है। इससे बाजार में उपलब्ध चांदी की कमी और भी बढ़ गई।
दुनिया के सबसे बड़े सिल्वर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड एस एल वी ने इस सप्ताह 324 टन चांदी खरीदी है। यह कई महीनों में सबसे बड़ी खरीद है और इससे साफ पता चलता है कि बड़े निवेशक चांदी में और तेजी की उम्मीद कर रहे हैं।
Kedia Advisory के अनुसार, चांदी ने तकनीकी चार्ट पर एक महत्वपूर्ण कप एंड हैंडल पैटर्न बनाया है, जिसे लंबे समय की तेजी का संकेत माना जाता है। चांदी ने 173965 के महत्वपूर्ण स्तर को पार कर लिया है। यह स्तर कई महीनों से एक बड़ी रुकावट था। इसके ऊपर टिके रहने का मतलब है कि आगे चांदी की कीमत 193800 रुपये तक जा सकती है। अगर बाजार की स्थितियां ऐसे ही बनी रहीं तो कीमत 206000 रुपये तक भी पहुंच सकती है।
तकनीकी संकेतक भी तेजी की ओर इशारा कर रहे हैं। MACD जीरो लाइन के ऊपर है जो मजबूत रफ्तार दिखाता है। RSI थोड़ा ऊंचा जरूर है लेकिन मजबूत तेजी के दौर में ऐसा होना सामान्य माना जाता है।
रिपोर्ट का कहना है कि जब तक चांदी की कीमत 173965 रुपये के ऊपर बनी रहती है, तब तक तेजी का रुझान कायम रहेगा। वैश्विक स्तर पर सप्लाई की कमी, निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की भारी खरीद और ब्याज दर में कटौती की उम्मीदें चांदी को 2025 में 2 लाख रुपये प्रति किलो के स्तर के और करीब ले जा सकती हैं।
कमोडिटी विशेषज्ञ अनुज गुप्ता का कहना है कि चांदी की कीमत लंबे समय से इसलिए बढ़ रही है क्योंकि इसकी औद्योगिक मांग बहुत बढ़ गई है। चांदी अब कई तरह की नई तकनीकों और मशीनों में ज्यादा इस्तेमाल हो रही है, इसलिए इसकी खपत पहले से कहीं ज्यादा है। पिछले 10 साल में इस मांग में लगातार बढ़ोतरी हुई है।
अनुज गुप्ता के मुताबिक चांदी की कीमत में बड़ी गिरावट की संभावना कम है। उन्हें लगता है कि चांदी की तेजी अभी और चल सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में वे अनुमान लगाते हैं कि साल 2026 तक चांदी की कीमत 80 से 100 डॉलर प्रति औंस तक जा सकती है। भारतीय बाजार में यह कीमत करीब 1,90,000 से 2,00,000 रुपये प्रति किलो के बराबर होती है।