कच्चे तेल की तरह सोयाबीन की कीमतों में भी आग लग गयी है। एक साल के दौरान इसके भाव 64 से 97 फीसदी तक बढ़ चुके हैं।
इसकी लपट से बाजार तो झुलस ही रहा है, आम उपभोक्ता भी इसकी तपिश महसूस करने लगा है। लेकिन, सटोरिए इसकी गर्मी से अपने निवेश की ठंडक मिटा रहे हैं। सटोरियों को पता है कि सोयाबीन की लपट भी कच्चे तेल की तरह अभी और धधकेगी।
सोयाबीन के वैश्विक उत्पादन में कमी होने और खाद्य तेलों से लेकर बायोडीजल तक के लिए इसकी भारी मांग होने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। हालांकि घरेलू बाजार में अक्तूबर तक सोयाबीन की नयी फसल आने पर इसकी कीमत में थोड़ी नरमी आने के कयास लगाए जा रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस साल सोया की पैदावार बढ़ेगी। देश के विभिन्न प्रांतों की एपीएमसी के मुताबिक, गत जून माह के दौरान सोयाबीन की कीमत में हर सप्ताह बढ़ोतरी दर्ज की गयी।
सोयाबीन के सबसे बड़े उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में भी जून के दूसरे सप्ताह में इसकी कीमत 2,361 रुपये प्रति क्विंटल रही। जो तीसरे सप्ताह में यह 2,468 रुपये प्रति क्विंटल तो चौथे सप्ताह में यह 2,473 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गयी। गत वर्ष जून के दौरान मध्य प्रदेश की मंडी में इसकी कीमत 1,470 रुपये प्रति क्विंटल थी। यानी कि दाम में 68 फीसदी का इजाफा। छत्तीसगढ़ में तो इसकी कीमत में पिछले साल के मुकाबले जून महीने के दौरान 97.39 फीसदी का इजाफा देखा गया।
छत्तीसगढ़ की मंडी में पिछले साल जून महीने के आखिरी सप्ताह में सोयाबीन के भाव 1,235.31 रुपये प्रति क्विंटल थे जो इस साल की समान अवधि के दौरान 2,438.4 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। गुजरात में यह बढ़ोतरी 72 फीसदी की रही तो महाराष्ट्र में 71 फीसदी की। कीमत के साथ-साथ सोयाबीन के वायदा कारोबार में सटोरियों का निवेश भी बढ़ता गया। वर्ष 2007 के जून महीने में यह कारोबार 1,553.50 करोड़ रुपये का था जो इस साल जून में 5,594.78 करोड़ रुपये का हो गया।
2007 के मई में सोयाबीन का कारोबार 1,510 करोड़ रुपये का था जो इस साल समान अवधि के दौरान 3,157 करोड़ रुपये का हो गया। एफएओ ने विश्व स्तर पर सोयाबीन के उत्पादन में 6 फीसदी की कमी की आशंका जाहिर की है। अमेरिका में सोयाबीन की बुआई में 16 फीसदी की कमी आयी है और वहां उत्पादन में 7 करोड़ टन की गिरावट दर्ज की गयी है। हालांकि भारत में सोयाबीन का उत्पादन पिछले साल के 94 लाख टन के मुकाबले 110-115 लाख टन होने का अनुमान है।
बायोडीजल की बढ़ती मांग के कारण वर्ष 2006-07 के दौरान अमेरिका में बायोडीजल के लिए सोयाबीन तेल का इस्तेमाल दोगुना हो गया है। हर साल बायोडीजल के लिए सोयाबीन का इस्तेमाल 5-6 फीसदी की दर से बढ़ रहा है।