बीटी कॉटन की दूसरी पीढ़ी के रकबे में तेजी से हो रहा इजाफा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 2:01 AM IST

बेहतर पैदावार और कीटनाशकों के बेहतर प्रदर्शन के चलते बोल्गार्ड-2 किस्म के जीएम कपास बीज के इस्तेमाल में 2006 से अब तक चौगुनी बढ़ोतरी हो चुकी है।


जीएम बीजों का व्यावसायिक इस्तेमाल जब से शुरू हुआ है, इस बीज का रकबा 45 लाख एकड़ तक पहुंच गया है। महिको मोनेसैंटो बायोटेक नामक कंपनी के मुताबिक, बीटी कॉटन के कुल 1.72 करोड़ एकड़ के रकबे में से बोल्गार्ड-2 किस्म के कपास का रकबा 45.1 लाख एकड़ हो गया है। वहीं बोल्गार्ड का रकबा 1.272 करोड़ एकड़ हो गया।

गौरतलब है कि देसी-विदेशी फर्मों की इस संयुक्त कंपनी में इन दोनों की हिस्सेदारी संयुक्त रूप से 50-50 फीसदी की है। कंपनी के मुताबिक, किसान बोल्गार्ड से बोल्गार्ड-2 किस्म का रुख कर रहे हैं। इसकी मुख्य वजह यह कि जहां बोल्गार्ड-2 किस्म में महज एक बार ही छिड़काव करना होता है, वहीं बोल्गार्ड बीज की बुआई करने पर इसकी फसल को एक से अधिक छिड़काव की जरूरत होती है।

परंपरागत कपास में तो किसानों की हालत ही खराब हो जाती है जब एक सीजन में 6 से 10 बार पीड़कनाशियों का छिड़काव किया जाता है। गौरतलब है कि मोनेसैंटो का बोल्गार्ड बीज कपास का पहला जीन संवर्द्धित बीज है, जो बीटी कॉटन के रूप में लोकप्रिय हुआ जबकि 2002 में इस बीज को देश में इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी।

मोनेसैंटो के मुताबिक, देश में कपास के सबसे बड़ा उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में बोल्गार्ड-2 किस्म के कपास का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। यहां 21 लाख जबकि आंध्र प्रदेश में 8.4 लाख और गुजरात में 5.3 लाख एकड़ में बोल्गार्ड कपास बोया गया था।

कंपनी का कहना है कि जैसे-जैसे किसानों को इस बात का अहसास होगा कि बोल्गार्ड-2 किस्म का बीज बोल्गार्ड की तुलना में कीड़ों से ज्यादा सुरक्षित है, वैसे-वैसे इसकी स्वीकार्यता भी बढ़ती जाएगी। पंजाब के किसान राजेंदर सिंह ने बताया कि इस साल हमने बोल्गार्ड-2 कपास की खेती की तो हमने पाया कि इसकी पैदावार बोल्गार्ड से बेहतर है।

बाजार में 450 ग्राम बोल्गार्ड-2 कपास का भाव जहां 950 रुपये मिल रहा है वहीं समान मात्रा के बोल्गार्ड कपास की कीमत 750 रुपये मिल रही है। पंजाब के ही एक दूसरे किसाना मेवा सिंह ने कहा कि बोल्गार्ड-2 कपास पीड़कनाशियों से ज्यादा बेहतर सुरक्षा दे रहा है। ऐसे में पीड़कनाशियों से निपटने के लिए या तो एकमात्र छिड़काव पर्याप्त होता है या किसी छिड़काव की जरूरत ही नहीं होती।

First Published : October 31, 2008 | 10:29 PM IST