अदाणी समूह ने गुरुवार ऑस्ट्रेलिया में अपनी कारमाइकल परियोजना से पहली बार कोयला हासिल किया और वह इसे निर्धारित समय पर अपने ग्राहकों को भेजना शुरू करेगी। इसके साथ ही, इस परियोजना से न सिर्फ ऑस्ट्रेलियाई क्षेत्र के आर्थिक परिदृश्य को मजबूती मिलेगी, बल्कि इससे सस्ता कोयला खरीदने के लिए भारतीय विद्युत संयंत्रों को भी मदद मिलेगी। इस परियोजना को कई अंतरराष्ट्रीय बैंकों द्वारा वित्त पोषण से मना किए जाने के साथ साथ पर्यावरण संबंधित चिंताओं को लेकर भी स्थानीय आबादी के विरोध का सामना करना पड़ा था। हालांकि समूह को इस परियोजना को लेकर सफलता मिली है, जिसमें खदान से ऑस्ट्रेलियाई बंदरगाह को जोडऩे वाली नई रेलवे लाइन का निर्माण भी शामिल है। यह खदान क्वींसलैंड में 300 किलोमीटर दूर स्थित है।
समूह ने शुरू में 16.5 अरब डॉलर के निवेश के साथ वर्ष 2010 में इस परियोजना के क्रियान्वयन की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में यह लागत राशि घटकर 2 अरब आस्ट्रेलियाई डॉलर की गई। यह परियोजना हर साल 1 करोड़ टन कोयले का उत्पादन करेगी, जो ऑस्ट्रेलिया में किसी भारतीय कंपनी द्वारा सबसे बड़ा निवेश है। परियोजना ऐसे समय में शुरू की गई है जब कोयला कीमतें तीन वर्ष की ऊंचाई पर पहुंच गई हैं और चीन के कोयले की तेज मांग से कीमतों को बढ़ावा मिल रहा है।
अदाणी की ऑस्ट्रेलियाई कंपनी ब्रेवस माइनिंग ऐंड रिसोर्सेज के मुख्य कार्याधिकारी डेविड बोशोऊ ने कहा कि यह परियोजना से जुड़े 2,600 लोगों के लिए एक शानदार दिन था। उन्होंने कहा, ‘निर्माण के दो वर्षों और मंजूरियों से जुड़े कई वर्षों के दौरान हमारे कर्मियों ने इस परियोजना में कड़ी मेहनत की और यह बेहद सुखद है कि अब हम इससे कोयला निकालने में सफल रहे हैं। हमें इस परियोजना को लेकर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन हमारी टीम के कठिन परिश्रम और लगन की वजह से हम अब कोयले की तह तक पहुंच गए हैं। ब्रेवस वर्ष 2021 में कोयला निर्यात में सफल रही है, जैसा कि वादा किया गया था।’
उन्होंने कहा, ‘हम इस साल अपने पहले कोयले का निर्यात करने की राह पर हैं, और इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर पहुंचने के बावजूद हम बाजार में कोयला उपलब्ध कराने के अपने महत्वपूर्ण लक्ष्य से पीछे नहीं हटेंगे।’
भारत कारमाइकल खदान के लिए आधार ग्राहक होगा और यह वैश्विक ऊर्जा मांग में सर्वाधिक वृद्घि के स्रोत के तौर पर बिजली का चौथा सबसे बड़ा वैश्विक उपयोगकर्ता भी है। उन्होंने कहा, ‘कोयला सूचकांक मूल्य निर्धारण पर बेचा जाएगा और हम स्थानांतरण मूल्य निर्धारण प्रणालियों में व्यस्त नहीं रहेंगे, जिसका मतलब है कि हमारे सभी कर और रॉयल्टी यहां ऑस्ट्रेलिया में चुकाए जाएंगे। भारत को अपनी जरूरत के हिसाब से कोयला मिलेगा और ऑस्ट्रेलिया को रोजगार और आर्थिक लाभ प्रक्रिया में हैं।’
कारमाइकल कोयला अदाणी समूह के ऊर्जा पोर्टफोलियो में अहम योगदान होगा। इस पोर्टफोलियो में सतत ऊर्जा मिश्रण, ताप विद्युत, सौर विद्युत, पवन ऊर्जा और गैस को शामिल किया जाएगा।