इस महीने की शुरुआत से गेहूं की कीमत नई ऊंचाई छू रहा है, ऐसे में सबकी नजरें केंद्र सरकार द्वारा इस अनाज की खुले बाजार में बिक्री पर टिक गई हैं।
व्यापार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अधिकारियों पर हाल की छापेमारी और एफसीआई के भंडार की वास्तविक मात्रा पर सवाल खड़े होने के बाद खुले बाजार में बिक्री संदेह के घेरे में है।
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 1 जनवरी, 2023 को केंद्रीय पूल में भारत का गेहूं का अनुमानित स्टॉक 171.7 लाख टन था। यह रणनीतिक भंडार की मात्रा से करीब 24.4 प्रतिशत अधिक है।
केंद्रीय पूल में 171.7 लाख टन गेहूं में से करीब 105 लाख टन (करीब 61 प्रतिशत) राज्य की एजेंसियों के पास है। इसके बावजूद 1 जनवरी से 17 जनवरी के बीच दिल्ली के लॉरेंस रोड मार्केट में गेहूं की कीमत 2,900 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 3,060 से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल के बीच पहुंच गई है। 20 दिन से कम समय में इसकी कीमत में 3 से 7 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
फ्लोर मिल मालिक बार-बार सरकार से अपील कर रहे हैं कि वह घरेलू उपभोक्ताओं के लिए अपने गेहूं के भंडार की कुछ मात्रा की बिक्री खुले बाजार में करे, जिससे कीमत में तत्काल कुछ कमी आ सके। बाजार में कमी के कारण कीमत बढ़ रही है।
आईग्रेन इंडिया के जिंस विश्लेषक राहुल चौहान ने कहा, ‘केंद्र को तत्काल अपने भंडार में से कुछ स्टॉक निकालना चाहिए। इससे कीमत कम होगी क्योंकि स्टॉकिस्टों और थोक विक्रेताओं के पास भंडार खाली हो गया है, जबकि मांग तेज है।’
सूत्रों ने कहा कि कारोबारियों को उम्मीद है कि केंद्र सरकार करीब 20 लाख टन गेहूं अपने स्टॉक से जारी करेगा। 1 जनवरी से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को खत्म करने के हाल के फैसले से केंद्र के पास खुले बाजार में हस्तक्षेप के लिए लचीलापन मिल सकेगा।