ऐसे समय में जबकि राज्य सरकार खुले बाजार में बिक्री की नीति के तहत गेहूं उठाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे,
आटा मिल मालिकों ने कहा है कि सरकार गेहूं आवंटन के लिए टेंडर सिस्टम को समाप्त कर गेहूं की सप्लाई बढ़ा सकती है ताकि इसकी कीमतों में बहुत ज्यादा फेरबदल की गुंजाइश न बचे।
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के अध्यक्ष एम. के. दत्तराज ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम के वर्तमान टेंडर सिस्टम में वेवजह काफी वक्त लगता है।
ऐसे में सरकार को पहले वाला फॉर्मला अपनाना चाहिए, जिसके तहत मिलों की क्षमता के लिहाज से उन्हें गेहूं का आवंटन होता था। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा करना संभव नहीं हो तो सरकार को चाहिए कि वह टेंडर प्रक्रिया में अधिकतम मात्रा की सीमा समाप्त कर दे।
दत्तराज ने कहा कि टेंडर के जरिए अधिकतम एक हजार टन गेहूं खरीदा जा सकता है, जो एक फ्लोर मिल की चार-पांच दिन की खुराक होती है। केंद्र ने खुले बाजार में बिक्री की स्कीम के तहत बड़े खरीदारों मसलन फ्लोर मिल मालिकों को 8.4 लाख टन गेहूं की बिक्री का ऐलान किया था।
अब इसकी मियाद दो महीने के लिए बढ़ा दी गई है। सूत्रों ने बताया कि अब तक सिर्फ 3.5 लाख टन गेहूं ही मिल मालिकों और अन्य लोगों ने उठाया है।
दत्तराज ने कहा कि अगर सरकार ने फ्लोर मिल मालिकों को गेहूं की और मात्रा आवंटित करने को तैयार हो जाती है तो फिर गेहूं की कीमत एक रुपये प्रति किलो तक कमीहो सकती है।
दूसरी तरफ पांच राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 45 हजार टन गेहूं ही उठाया है जबकि खुले बाजार की नीति के तहत इनके लिए 9.09 लाख टन गेहूं रखी गई थी। पहले यह स्कीम दिसंबर तक के लिए थी, लेकिन अब इसे दो माह के लिए बढ़ा दी गई है।
मिल मालिकों ने कहा कि राज्यों द्वारा गेहूं नहीं उठाए जाने के बाद भी सरकार ने स्कीम की मियाद बढ़ा दी है जबकि मांग होने के बावजूद उन्हें ज्यादा गेहूं नहीं मिल पा रहा।