ओलंपिक खेलों के मद्देनजर खतरनाक गैसों का उत्सर्जन रोकने के लिए चीन ने मेटलर्जिकल कोक (मेट कोक) के उत्पादन में कटौती कर दी है।
इसके चलते महज 6 महीनों में ही स्टील और पिग आयरन बनाने में इस्तेमाल होने वाले इस कोयले की कीमत तिगुनी हो गयी है। मालूम हो कि ओलंपिक खेल अगले महीने चीन की राजधानी पेइचिंग में शुरू हो रहे हैं। मेट कोक की बेहतरीन किस्म जिसमें महज 9 से 13 फीसदी राख होता है, की कीमत अब बढ़कर 875 डॉलर (35,000 रुपये) प्रति टन हो गई है।
जबकि 6 महीने पहले इस विशेष किस्म के कोयले का भाव 300 डॉलर (12,000 रुपये) प्रति टन था। मेट कोक की औसत गुणवत्ता जिसमें 24 से 35 फीसदी तक राख होता है, की कीमत भी काफी बढ़ चुकी है। फिलहाल औसत गुणवत्ता वाले मेट कोक का भाव 9,000 से 15,000 रुपये प्रति टन के बीच चल रहा है। उल्लेखनीय है कि पिग आयरन तैयार करने में कच्ची सामग्रियों पर होने वाले कुल खर्च का 60 फीसदी ईंधन पर खर्च होता है। स्टील निर्माण के मामले में यही खर्च बढ़कर 50 फीसदी तक पहुंच जाता है।
इन परिस्थितियों के चलते चीन के पिग आयरन निर्माताओं ने अपने उत्पाद की कीमतें बढ़ा दी हैं। इस्पात के स्वतंत्र निर्माताओं ने तो मेट कोक की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी के चलते स्पांज आयरन की ओर रुख कर लिया है। ऐसा इसलिए कि स्पांज आयरन की कीमतें अपेक्षाकृत कम होती है। पिग आयरन जिसमें 92 फीसदी तक आयरन होता है, की कीमत अभी 32,000 रुपये प्रति टन है। वहीं स्पांज आयरन का भाव इस समय 25,000 से 26,000 रुपये के बीच है।
जानकारों के मुताबिक, ओलंपिक खेलों में प्रदूषण का स्तर कम करने के प्रयासों के तहत चीन ने मेट कोक के उत्पादन में 72 फीसदी तक की कमी कर दी है। यानी पहले की तुलना में अब चीन में इसका उत्पादन महज एक चौथाई ही रह गया है। इधर भारत ने भी लौह अयस्क के निर्यात पर 15 फीसदी अतिरिक्त ऐड वेलोरम डयूटी लगा दिया है। इसके चलते अनुमान लगाया जा रहा है कि चीन कोक के निर्यात पर लगने वाले मौजदा 25 फीसदी आयात शुल्क को बढ़ाकर 30 फीसदी कर सकता है।
उद्योग जगत से जुड़े जानकारों का मानना है कि ओलंपिक खेलों के संपन्न होने के बाद उत्पादक इसका उत्पादन फिर से शरू कर सकते हैं। ऐसी हालत में मेट कोक की कीमतें कम होने के आसार हैं। दुनिया के सबसे बड़े इस्पात निर्माता देश चीन में इस साल मेट कोक की मांग 36 करोड़ टन तक पहुंच जाने का अनुमान है। पूरी दुनिया में इसकी मांग इस समय 60 करोड़ टन है। इस तरह, अकेले चीन में इस कोयले की खपत पूरी दुनिया का 60 फीसदी है। पिछले साल यानी 2007 में चीन में 32 करोड़ टन मेट कोक की खपत हुई थी जबकि इसने इस दौरान 33.5 करोड़ टन मेट कोक उत्पादित किया था।
इस बीच चीन ने भारत को किए जा रहे मेट कोक के निर्यात को रोकने की बात कही है। पिछले साल चीन ने भारत को 30 लाख टन मेट कोक का निर्यात किया था। अनुमान है कि इस साल भारत में इसकी मांग 65 लाख टन तक पहुंच जाएगी। 2007 में देश में मेट कोक की खपत 52 लाख टन थी तो 2006 में यह केवल 43 लाख टन ही थी। भारत की स्टील कंपनियां अपनी विस्तार योजनाओं पर तेजी से अमल कर रही हैं। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि देश का मेट कोक आयात बढ़कर 2 करोड़ टन तक पहुंच जाएगा। जाहिर है ऐसी हालत में स्टील कंपनियों के ईधन बजट में खासी बढ़ोतरी होगी।