प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
इस साल डॉलर के मुकाबले रुपये में करीब 4.5 फीसदी की गिरावट के बीच बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में प्रतिभागियों ने कहा कि आने वाले हफ्तों में रुपया 90 प्रति डॉलर पर पहुंच सकता है। हालांकि, अगर अमेरिका के साथ व्यापार करार की तस्वीर साफ होती है तो दिसंबर के आखिर तक इसमें थोड़ा सुधार आने की संभावना है और यह 88.50 प्रति डॉलर के आसपास आ जाएगा।
व्यापार करार में हो रही देरी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दर कटौती की उम्मीद कमजोर पड़ने से बीते शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 0.9 फीसदी तक लुढ़क गया था तो इस साल की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा मुद्रा विनिमय बाजार में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करने से रुपये की गिरावट में और तेजी आई। 9 प्रतिभागियों के इस सर्वेक्षण में ज्यादातर प्रतिभागियों ने उम्मीद जताई है कि वर्ष के अंत तक रुपया 88 प्रति डॉलर तक पहुंच सकता है।
शुक्रवार को रुपया 89.49 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। रुपये के 88.80 प्रति डॉलर के स्तर को पार करने के बाद आरबीआई ने किनारे रहने का फैसला किया, जिससे स्टॉपलॉस शुरू हो गया और रुपया दिन के सबसे निचले स्तर 89.54 प्रति डॉलर पर आ गया था। शुक्रवार को रुपया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली एशियाई मुद्रा थी।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि अमेरिका के व्यापार करार जल्द पूरा होगा जिससे जवाबी शुल्क मौजूदा 50 फीसदी से कम हो जाएगा।’
उन्होंने कहा, ‘इससे रुपये को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। दिसंबर तक डॉलर के मुकाबले रुपया 88.50 के आसपास स्थिर हो सकता है। चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में रुपये को मजबूती मिल सकती है क्योंकि उस दौरान व्यापार घाटा आम तौर पर कम होता है। ऐसे में चौथी तिमाही में रुपया 87.50 से 88.00 प्रति डॉलर रह सकता है।’ इस साल रुपया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली एशियाई मुद्रा रही है जिसमें डॉलर के मुकाबले 4.33 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। ताइवानी डॉलर, थाईलैंड की बात और मलेशियाई रिंगिट डॉलर के मुकाबले मजबूत हुई हैं।
अधिकारियों से हाल ही में मिले सकारात्मक संकेतों और अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बयान से व्यापार समझौते में प्रगति की उम्मीदें बढ़ गई हैं जिससे सेंटिमेंट बेहतर हो सकता है और रुपये को कुछ सहारा मिल सकता है। हालांकि कुछ प्रतिभागियों का मानना है कि निकट अवधि में रुपया 90 प्रति डॉलर के स्तर को पार कर जाएगा क्योंकि गिरावट का दबाव बना हुआ है। उनके मुताबिक साल के आखिर तक यह 91 प्रति डॉलर तक पहुंच सकता है।
प्रतिभागियों ने कहा कि व्यापार करार पर फैसला होने की संभावना है लेकिन येन के अवमूल्यन और फेड की दर कटौती में संभावित देरी तथा व्यापार घाटे की वजह से रुपये में आगे भी तेज उतार-चढ़ाव दिख सकता है।
मार्च के अंत तक निर्यात में सुधार होने की उम्मीद है, जिससे चालू खाते का घाटा कम करने में मदद मिलेगी। व्यापार करार होने से भी रुपये को सहारा मिलेगा।
आरबीएल बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री अनीता रंगन ने कहा, ‘आरबीआई हर मौके पर अपने मुद्रा भंडार को बढ़ाने की कोशिश करेगा इसलिए रुपये में खास बढ़ोतरी की उम्मीद न करें। विदेशी मुद्रा आस्तियों के मामले में मौजूदा भंडार जून स्तर से 33 अरब डॉलर घट गई है जबकि कुल भंडार में 10 अरब डॉलर की कमी आई है। ऋणात्मक फॉरवर्ड बुक को समायोजित करने के बाद मुद्रा भंडार और जीडीपी अनुपात 2018 के सबसे निचले स्तर के करीब है।’ 14 नवंबर को खत्म हुए हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 692.5 अरब डॉलर था जो 11 महीने आयात और जून 2025 तक के लगभग 93 फीसदी बाह्य कर्ज को कवर करने के लिए पर्याप्त है।