Gold Price Outlook: सोने की कीमतों में आने वाले सप्ताह में स्थिरता का दौर देखने को मिल सकता है क्योंकि व्यापारी वैश्विक आर्थिक संकेतकों, केंद्रीय बैंकों से मिले रुझान और बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखेंगे। विश्लेषकों ने यह राय जताई। इसके अलावा, ट्रेडर्स अमेरिका के हाउसिंग आंकड़ों, ब्रिटेन और यूरोप के महंगाई के आकंड़ों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से प्रारंभिक PMI डेटा पर नजर रखेंगे। साथ ही, निवेशक यूरोपीय सेंट्रल बैंक की अध्यक्ष क्रिस्टीन लेगार्ड के भाषण और फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल की टिप्पणियों पर भी बारीकी से नजर रखेंगे, जो सोने की कीमतों की व्यापक दिशा के बारे में और जानकारी प्रदान करेंगी।
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जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज के उपाध्यक्ष (ईबीजी – कमोडिटी एवं करेंसी रिसर्च) प्रणव मेर ने कहा, “आने वाले सप्ताह में सोने की कीमतों में कुछ सुधार देखने को मिल सकता है, क्योंकि अब ध्यान अमेरिका के आने वाले मैक्रोइकॉनॉमिक आंकड़ों और अगले महीने होने वाली फेडरल रिजर्व की बैठक पर है, जिसमें ब्याज दरों में कटौती पर विशेष ध्यान रहेगा।” प्रणव मेर ने बताया कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार वार्ता को अगले 90 दिन के लिए बढ़ाने के समझौते के बाद सुरक्षित निवेश (safe-haven) की मांग कम हो गई है।
इस बीच, अमेरिका और रूस के बीच यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के लिए हुई वार्ता में कुछ प्रगति हुई, लेकिन यह किसी निष्कर्ष के बिना समाप्त हो गई।
मेर के अनुसार, अमेरिका के कमजोर मैक्रोइकॉनॉमिक आंकड़ों ने आर्थिक गतिविधियों में मंदी को उजागर किया है, लेकिन मजबूत निर्माता और आयातक मूल्य डेटा ने महंगाई की चिंताओं को जिंदा रखा है, जिससे फेड के अधिकारियों में ब्याज दरों में कटौती के समय को लेकर मतभेद हैं।
पिछले सप्ताह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर अक्टूबर कॉन्ट्रैक्ट के लिए सबसे अधिक कारोबार वाले सोने के वायदा भाव में 1,648 रुपये प्रति 10 ग्राम या लगभग 2 प्रतिशत की गिरावट आई।
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एंजेल वन में डीवीपी-रिसर्च, नॉन-एग्री कमोडिटीज और करेंसीज प्रथमेश माल्या ने कहा कि पिछले सप्ताह MCX पर वायदा भाव लगभग 2 प्रतिशत गिर जाने के कारण सोने की कीमतों में गिरावट आई।
उन्होंने आगे कहा कि “अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के बाद कि अमेरिका में सोने के आयात पर शुल्क नहीं लगेगा, कीमतें 1,02,000 रुपये के उच्चतम स्तर से गिरकर 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के निम्नतम स्तर पर आ गईं, जिससे कीमती धातु की तेजी पर खतरा मंडरा रहा है।”