सरकार के लिए एक और खुशखबरी है। चावल के उबाल कम होने के साथ खाद्य तेलों की धार भी इन दिनों पतली हो रही है।
बीते पंद्रह दिनों के भीतर खाद्य तेलों की कीमत में 3-5 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट दर्ज की गयी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार के रुख को देखते हुए आने वाले समय में तेल के भाव 2 रुपये प्रति किलोग्राम तक कम हो सकते हैं।
महज पंद्रह दिन पहले जिस पामोलिन ऑयल की कीमत 545 रुपये प्रति दस किलोग्राम थी वह घटकर 490.50 रुपये प्रति दस किलोग्राम के स्तर पर आ गयी। यानी कि 5.50 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट। थोक बाजार में सरसों व सोयाबीन के तेलों में 3 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी आ चुकी है। वैसे ही बिनौला व मूंगफली के तेलों में भी 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट है।
गौरतलब है कि मुद्रास्फीति में खाद्य तेलों का योगदान 3.7 फीसदी का होता है। खारी बावली ट्रेडर्स असोसिएशन के महासचिव एवं खाद्य तेलों के थोक कारोबारी हेमंत गुप्ता कहते हैं, ‘मलयेशिया में पामोलीन का तो शिकागो में सोया का जबरदस्त स्टॉक है। पिछले तीन महीने से मलयेशिया में क्रूड पामोलीन ऑयल (सीपीओ) का स्टॉक 20-21 लाख टन के स्तर पर कायम है। वहां तो नयी पेराई तक बंद हो गयी है।’ भारत 55-58 लाख टन खाद्य तेल का आयात करता है और इस कारण अंतरराष्ट्रीय कीमत बहुत हद तक यहां के बाजार को तय करती है।
कारोबारियों के मुताबिक चीन में मलेशिया के तेलों की मांग कम हो गयी है। खाद्य तेलों के आयातक हरीश कहते हैं, ‘खाद्य तेलों का कच्चे तेल के साथ मनोवैज्ञानिक संबंध है। कच्चे तेल की कीमत लगभग 20 डॉलर प्रति बैरल कम हो गयी है तो इसका असर हर हाल में खाद्य तेलों की कीमत पर पड़ेगा। ‘ कच्चे तेल में सुस्ती से बायोडीजल के लिए सोयाबीन व पामोलीन की खपत में कमी आ जाती है। इस बात की भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि सोया व मूंगफली की आगामी फसल पिछले साल के मुकाबले अधिक होगी। इस संभावना से भी खाद्य तेलों की कीमतें प्रभावित हुई हैं।
कारोबारी इस बात को कह रहे हैं कि सरकार खाद्य तेलों के स्टॉक को बनाए रखने के लिए लगातार आयात कर रही है। पिछले पंद्रह दिनों में सरकार ने अपनी विभिन्न एजेंसियों के जरिए 24,000 टन वनस्पति तेलों का आयात किया। सरकार जन वितरण प्रणाली के माध्यम से गरीबों को बाजार भाव से 15 रुपये प्रति किलोग्राम कम कीमत पर खाद्य तेल वितरित करने जा रही है। इसका असर भी खाद्य तेलों के बाजार पर देखा गया है।
गुप्ता कहते हैं, ‘यही हाल रहा तो खाद्य तेल अभी 2 रुपये प्रति किलोग्राम तक और मंदा होगा।’ दिलचस्प बात यह है कि देश के अधिकतर राज्यों के कारोबारियों के पास खाद्य तेलों का स्टॉक बहुत ही सीमित है। क्योंकि विभिन्न सूबों की सरकार ने तेल की स्टॉक सीमा तय कर रखी है। सिर्फ उड़ीसा सरकार ने चार दिन पहले इस पाबंदी को खत्म कर दिया है।