प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
कोलकाता के प्रसिद्ध आभूषण बाजार बोऊबाजार में शादी-ब्याह के सीजन के दौरान आम तौर पर दिखने वाली हलचल बिल्कुल गायब है। शहर के मध्य में स्थित इस इलाके में करीब 350 दुकानें हैं लेकिन वहां के माहौल में उदासी साफ तौर पर देखी जा सकती है।
गोल्ड एम्पोरियम के एक सेल्सपर्सन ने कहा कि सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं और खरीदारों का बजट कम पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘बिक्री में काफी गिरावट आई है। जो लोग अपने प्रियजनों को सोना उपहार में देना चाहते हैं, उन्हें अपने बजट में कुछ भी अच्छा नहीं मिल रहा है। यहां तक कि नाक की लौंग (नोज पिन) जैसी मामूली चीज भी अब 6,000 रुपये में मिल रही है। मगर नोज पिन उपहार में कौन देता है?’
एक अन्य दुकान के मालिक ने कहा, ‘लोग महज 2 ग्राम वजन में सोने की चेन की तलाश कर रहे हैं। क्या यह संभव है?’
बोऊबाजार में हर जगह लगभग यही कहानी है। ग्राहकों की आवाजाही कम हो रही है और हल्के, कम वजन वाले आभूषणों की मांग बढ़ रही है। वैश्विक अनिश्चितता के कारण सुरक्षित निवेश समझी जाने वाली इस परिसंपत्ति में लगातार तेजी दिख रही है। सोने की कीमतों में उछाल ने खरीदारों की परेशानी बढ़ा दी है।
पिछले सप्ताह की शुरुआत में घरेलू खुदरा बाजार में सोने का भाव 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर लिया था। हालांकि उसके बाद नरमी आई लेकिन अभी भी 2024-25 के औसत के मुकाबले करीब 20 फीसदी की तेजी बनी हुई है।
कीमतों में मामूली गिरावट के बावजूद खरीदार अपनी खर्च करने से कतरा रहे हैं। स्वर्ण शिल्प बचाओ समिति के कार्यकारी अध्यक्ष बबलू डे ने कहा, ‘ग्राहक फिलहाल इंतजार करने के मूड में हैं।’
बजट पर दबाव होने के कारण कई खरीदार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पुराने आभूषणों की ओर रुख कर रहे हैं। कोलकाता की कंपनी सेनको गोल्ड के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुवनकर सेन ने कहा, ‘ग्राहक अपने बजट के दायरे में शादी-ब्याह के लिए आभूषणों की तलाश कर रहे हैं। पुराने सोने के बदले खरीदारी में 40 फीसदी की वृद्धि हुई है।’
देश भर के अन्य सर्राफा बाजार में भी यही कहानी दिखती है।
आम तौर पर भीड़-भाड़ वाली चांदनी चौक की गलियां शहर के ऐतिहासिक आभूषण केंद्र दरीबा कलां की ओर ले जाती हैं। राधे किशन गोपाल किशन ज्वैलर्स के मालिक गौरव गुप्ता ने कहा, ‘पिछले तीन महीनों के दौरान सोने की कीमतों में उछाल के कारण कारोबार में काफी गिरावट आई है। आने वाले थोड़े-बहुत ग्राहक भी 18 कैरट या 14 कैरट के आभूषणों की ओर रुख कर रहे हैं।’
गुप्ता दरीबा ज्वैलर्स एसोसिएशन (डीजेए) के कोषाध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा कि उपहार देने की आदतें भी बदल रही हैं। उन्होंने कहा, ‘लोग शादी-ब्याह, जन्मदिन एवं अन्य अवसरों पर आम तौर पर 10 ग्राम की सोने की चेन उपहार में देते थे। मगर सोने की कीमतों में तेजी के कारण अब लोग अन्य उपहार या सिर्फ नकद उपहार देने लगे हैं।’
रतन चंद ज्वाला नाथ ज्वैलर्स में भी माहौल कुछ अलग नहीं है। डीजेए के मालिक और अध्यक्ष तरुण गुप्ता ने कहा, ‘भू-राजनीतिक परिस्थिति ने सोने की कीमतों को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। इससे मनोवैज्ञानिक बाधा टूट गई है। पिछले तीन महीनों के दौरान हमारे कारोबार में करीब 50 फीसदी की गिरावट आई है। खरीदार हल्के आभूषणों की मांग कर रहे हैं।’ गली के आखिर में श्रीराम हरी राम ज्वैलर्स में काफी चहल-पहल है। वहां भीड़भाड़ जरूर है लेकिन खरीदारों की नहीं। काउंटरों पर मौजूद लोग अपने पुराने सोने के आभूषण बेचने के लिए वजन कर रहे हैं।
भारत में सोना निवेश से कहीं बढ़कर है और लोगों का उससे भावनात्मक लगाव है। यहां सोना बेचना, खास तौर पर विरासत में मिले सोने को बेचना अक्सर हताशा का प्रतीक माना जाता है। मगर आज पीली धातु की कीमतें ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचने से लोगों की भावना भी बदल रही है।
अपने आभूषण बेच रही एक 55 वर्षीय महिला ने कहा, ‘हमारे बच्चे कनाडा चले गए हैं और अब इतने भारी आभूषण नहीं पहनना चाहते। ये आभूषण केवल बैंक लॉकर में पड़े हैं।’ श्रीराम हरी राम ज्वैलर्स ने बताया कि ऐसी बिक्री में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है।
साल 1789 में स्थापित इस स्टोर के मालिक महेश चंद गुप्ता ने कहा, ‘हमारी कुल बिक्री में 50 फीसदी की गिरावट आई है। मगर पुराने आभूषण बेचने वाले ग्राहकों में काफी वृद्धि दिख रही है। परंपरागत तौर पर ऐसा केवल कठिन परिस्थितियों में ही होता था लेकिन अब ऐसा नहीं है।’
जवेरी बाजार की संकरी गलियों में भी कहानी लगभग समान है। वहां की गलियों में चहल-पहल है, लेकिन शादी-ब्याह के मौसम में वहां पहले की तरह भीड़ नहीं है। वहां जाने वाले अधिकतर ग्राहक पुराने हैं। शादी-ब्याह के लिए की खरीदारी करने वाले आम तौर पर पुराने सोने के बदले आभूषण ले रहे हैं।
यूटी जवेरी ऐंड संस में शोभा मेहता अपनी बेटी की शादी के लिए पुराने आभूषणों के बदले नए डिजाइन के आभूषण पसंद कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे पुराने आभूषणों के बदले खरीदारी करना पसंद नहीं है। मगर सोने की कीमतें काफी अधिक होने के कारण मेरे पास कोई अन्य विकल्प नहीं है।’
मालिक जीतू जैन ने भी इससे सहमति जताई। उन्होंने कहा, ‘हमें काफी कम नई खरीदारी दिख रही है। अधिकतर ग्राहक पुराने सोने के बदले खरीदारी कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि ग्राहकों की संख्या में करीब 65 फीसदी घट गई है।
पोपली ग्रुप के निदेशक राजीव पोपली ने कहा कि यह रुझान तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘दो साल पहले जब सोना 60,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास था तो महज 5 फीसदी आभूषणों की खरीद में ही पुराने सोने को बदला जाता था। मगर अब यह 20 फीसदी तक पहुंच गया है।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि इस साल 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर मांग स्थिर रहेगी।
चेन्नई में सोने की खरीदारी सांस्कृतिक तौर पर गहराई से जुड़ी हुई है, मगर वहां चलन थोड़ा अलग है। चेन्नई के खरीदार अक्षय तृतीया से पहले कीमतों में आई हालिया गिरावट का फायदा उठाकर स्टॉक जमा कर रहे हैं। अण्णा शालै में वुम्मिडी बंगारू ज्वैलर्स में अपराह्न के 2 बजे काफी चहल-पहल है। दक्षिण भारत में सोने के प्रति गहरा लगाव कोई रहस्य की बात नहीं है।
बच्चों के कपड़ों का ब्रांड लिलिपुट लेन चलाने वाली रंजीता राज ने कहा, ‘जमीन की ही तरह सोना भी एक सुरक्षित संपत्ति है।’ बिज़नेस स्टैंडर्ड ने जिन खरीदारों से बात की उनमें से अधिकतर की भावना स्पष्ट थी। वे मौजूदा अनिश्चितता के दौर में सोने को 30-40 फीसदी की तेजी के बावजूद सबसे सुरक्षित निवेश के रूप में देखते हैं।
वुम्मिडी बंगारू ज्वैलर्स इंडिया के मैनेजिंग पार्टनर अमरेंद्रन वुम्मिडी ने कहा, ‘हमें अभी तक मात्रात्मक बिक्री में गिरावट नहीं दिखी है। अगर कीमतें 3 से 5 फीसदी कम होती हैं तो हम अक्षय तृतीया के दौरान बिक्री में करीब 6 गुना वृद्धि देख सकते हैं।’