जिंसों के अंतरराष्ट्रीय कारोबार की निगरानी के लिए सेल का गठन

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 8:46 PM IST

देश में अंतरराष्ट्रीय जिंस बाजार की अहमियत को समझते हुए सरकार ने हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के विभाग की निगहबानी में एक निगरानी सेल का गठन किया है।


इस सेल का मुख्य काम जिंसों की कीमत समेत अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुद्रास्फीति की प्रवृत्तियों पर निगाह रखना होगा। जानकारों के मुताबिक, हाल की महंगाई से जूझने में छूटे पसीने से सरकार को सबक मिला है कि जिंसों के अंतरराष्ट्रीय बाजार पर नजरें रखना बहुत ही जरूरी है।

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने आंकड़े जुटाने के लिए समाचार एजेंसी रॉयटर्स की मदद ली है। उपभोक्ता मामलों के सचिव यशवंत भावे ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि हमने समाचार एजेंसी रॉयटर्स की सेवाएं ली हैं। उन्होंने बताया कि रॉयटर्स अंतरराष्ट्रीय ढुलाई खर्च, जिंसों के भाव और मांग-आपूर्ति संबंधी आंकड़ों को नियमित समय पर इस सेल को मुहैया कराएगी।

इससे सरकार को दलहन और खाद्य तेल जैसे जिंसों के आयात आदि की योजना बनाने में मदद मिलेगी। भावे ने बताया कि अब हमें जिंसों के अंतरराष्ट्रीय बाजार के बारे में जानकारी रखनी ही होगी। उन्होंने बताया कि जरूरत पड़ने पर यह सेल अन्य एजेंसियों की भी मदद ले सकता है।

वैसे पिछले कई साल से इसी विभाग के तहत घरेलू बाजार में जिंसों की कीमत पर नजर रखने के लिए मूल्य निगरानी सेल काम कर रहा है। यह सेल जिंसों के थोक और खुदरा मूल्य आंकड़े सहित गेहूं और चावल जैसे 15 जरूरी जिंसों की हालत पर निगाह रखता है।

उल्लेखनीय है कि भारत दलहन का सबसे बड़ा आयातक है। देश को हरेक साल 30 से 40 लाख टन दाल का आयात करना पड़ता है। यही नहीं देश में 12 करोड़ टन खाद्य तेलों की कुल खपत होती है जिसके 45 फीसदी की पूर्ति आयात के जरिए की जाती है। महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए हाल में सरकार ने तय किया कि आम उपभोक्ताओं के बीच वितरित किए जाने वाले खाद्य तेल और दलहन पर सब्सिडी दी जाएगी।

बताया गया कि सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में 10 लाख टन खाद्य तेल और 4 लाख टन दालों के वितरण का लक्ष्य रखा है। सरकारी एजेंसियों द्वारा गेहूं की कम की गई खरीदारी से पैदा हुई किल्लत को दूर करने के लिए सरकार पहले गेहूं का आयात कर चुकी है।

2006 से 2007 तक सरकार ने तकरीबन 68 लाख टन गेहूं विदेशों से आयात किए। जानकारों के अनुसार आंकड़ों का लगातार प्रवाह सरकार को पूरी स्थिति समझने में मदद करेगी जिससे जिंसों का आयात करने में मदद मिलेगी।

First Published : September 11, 2008 | 11:35 PM IST