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गन्ने का सरकारी मूल्य घोषित न होने से उत्तराखंड के किसान खफा

Last Updated- December 08, 2022 | 4:41 AM IST

गन्ने की पेराई शुरू होने के बावजूद उत्तराखंड सरकार ने अब तक गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) घोषित नहीं किया है।


इसे लेकर राज्य के किसानों में जबरदस्त गुस्सा है। राज्य के कई इलाकों विशेषकर हरिद्वार जिले में किसानों ने एकजुट होकर आवाज उठानी शुरू कर दी है। किसानों का कहना है कि राज्य सरकार न केवल गन्ने की एसएपी तुरंत घोषित करे बल्कि गन्ने का पिछला बकाया भी तुरंत अदा करे।

किसानों का गुस्सा इसलिए भी भड़क रहा है कि राज्य के कई मिलों ने बहुत पहले का बकाया अब तक नहीं चुकाया है। इस बीच जानकारी मिली है कि सरकार राज्य समर्थित मूल्य तय करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने जा रही है।

अतिरिक्त गन्ना आयुक्त सी एम एस बिष्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश ने गन्ने की एसएपी पिछले महीने घोषित किया है और इसे देखते हुए उत्तराखंड सरकार की योजना है कि जल्द ही यहां भी गन्ने की एसएपी घोषित कर दी जाए। बिष्ट ने कहा कि राज्य की मिलें इस सीजन में गन्ने की पेराई नवंबर महीने में शुरू कर देंगी। लेकिन सब की तारीख अलग-अलग होगी।

गन्ना आयुक्त के मुताबिक, इन निजी मिलों पर अब तक करीब 26 करोड़ रुपये का बकाया है। मालूम हो कि किसानों का बकाया चुकता करने के लिए राज्य सरकार ने तो अक्टूबर में उत्तम चीनी मिल के गोदाम को जब्त कर लिया।

इससे पहले बकाए की वसूली के लिए गन्ना विभाग ने आरसी भी जारी किया था। लेकिन यह मिल किसानों का कर्ज चुकता करने में नाकाम रही। अधिकारियों का कहना है कि गोदाम की जब्ती के बाद मिल ने किसानों का बकाया चुकाना शुरू कर दिया।

अधिकारियों का दावा है कि राज्य सरकार की अधिकांश मिलों ने किसानों का बकाया चुका दिया है। गौरतलब है कि राज्य में चीनी की 10 मिलें हैं जिनमें से 6 सरकारी और सहकारी स्वामित्व की हैं जबकि 4 मिलें निजी हैं।

मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी ने भी पिछले महीने गन्ने का बकाया चुकता करने के लिए करीब 56.3 करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया था, जबकि पिछले साल इसके लिए 72 करोड़ का पैकेज सरकार ने घोषित किया था।

First Published - November 20, 2008 | 10:46 PM IST

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