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आलू की पैदावार बढ़ी, भाव गिरने से किसान हुए निराश

Last Updated- December 08, 2022 | 7:01 AM IST

उत्तर प्रदेश के गावों में यह कहावत आम है कि आलू का घाटा आलू से ही पूरा होता है पर इस बार यह बात गलत साबित होती दिख रही है।


उत्तर प्रदेश में आलू की इस साल भरपूर पैदावार होने के बाद भी किसानों को अच्छा दाम मिलने की आशा नजर नही आ रही है।

सीजन के शुरु होते ही आलू के दामों में खासी गिरावट दर्ज की जा रही है। थोक मंडियों मे तो नए आलू की आमद तेजी से हो रही है पर साथ ही कीमतों भी हर रोज गिरती जा रही हैं।

थोक सौदागरों का कहना है कि सीजन में जैसी आमद आलू की हो रही है उससे लगता है कि इस साल भी कीमतें कम ही रहेंगी। हालांकि मंडियों में अभी आलू की कीमत 600 रुपए प्ति कुंतल चल ररही है पर आगे इसमें और गिरावट आने के आसार हैं।

उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीते साल आलू की पैदावार रिकार्ड तोड़ 130 लाख टन हुई थी और इस साल भी पैदावार इसी आंकड़े के आस-पास रहने की आशा है।

अधिकारियों का कहना है कि आलू की फसल के पूरे आंकड़े अभी आ नही सके हैं पर आशा है कि इस साल भी 110 से 125 लाख टन की पैदावार हो जाएगी।

गौरतलब है कि बीते साल थोक बाजारों में आलू की कीमतें गिरकर 2 रुपये किलो तक आ गयी थीं।

किसानों की बदहाली का आलम यह है कि पिछले साल कोल्ड स्टोरों मे जमा आलू भी निकाला नही गया है। यह हालत तब है जब किसानों के लिए कोल्ड स्टोर मालिकों ने अपनी शर्तों पर आलू निकालने की छूट दे दी है।

कई कोल्ड स्टोर मालिकों ने तो किसानों को बिना भाड़ा दिए आलू निकालने की इजाजत दे दी है। उत्तर प्रदेश कोल्ड स्टोर एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र स्वरुप के मुताबिक किसानों को हर सुविधा देने के लिए कोल्ड स्टोर मालिक तैयार हैं फिर भी 25 से 30 फीसदी के करीब आलू अभी कोल्ड स्टोरों में पड़ा है। इन्हें निकालने से किसानों ने इंकार कर दिया है।

उत्तर प्रदेश नर्सरी संघ के शिवसरन सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस साल किसानों को आलू भंडारण की मुसीबतों से भी दो चार होना पड़ेगा।

उनका कहना है कि कोल्ड स्टोरों के मालिक इस बार आसानी से भंडारण की इजाजत नही देंगे। सिंह का कहना है कि आलू किसानों से इस बार एडवांस में भी किराया का कुछ फीसदी जमा कराया जा सकता है।

First Published - December 3, 2008 | 10:46 PM IST

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