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थाली की कमोबेश हरेक चीज जब महंगाई से तप रही है, उस समय आलू के नरम भाव ने आम आदमी को बेशक ठंड दी है मगर आलू किसानों की हालत खराब हो गई है। आलू की खेती इस साल किसानों के लिए फायदेमंद साबित नहीं हुई। आलू का भंडारण करने वाले किसानों और कारोबारियों को आज के भाव पर तो लागत निकालना भी मुश्किल पड़ रहा है।
कोल्ड स्टोरेज में अच्छा खासा आलू बचा हुआ है, जिससे आगे भी आलू के भाव कम ही रहने के आसार हैं। स्टॉक इतना अधिक है कि इस सीजन में उसे खपाना मुश्किल पड़ेगा।
आलू के सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की आगरा मंडी में इस समय आलू 800 से 1,100 रुपये क्विंटल बिक रहा है। कोल्ड स्टोर में भरते समय भाव 500 से 800 रुपये क्विंटल था। कोल्ड स्टोरेज का किराया एवं अन्य खर्चे मिलाने पर भंडारण की कुल लागत 280 से 300 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है। इस हिसाब से इस समय मिल रहा थोक भाव किसानों की कुल लागत के बराबर ही है यानी उन्हें तगड़ा नुकसान हो रहा है।
उत्तर प्रदेश के आलू किसान बटुक नारायण मिश्रा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि भंडारण के दौरान कुछ आलू खराब हो जाता है और वजन भी कम हो जाता है। इस लिहाज से देखा जाए तो फिलहाल दाम काफी कम मिल रहे हैं। पिछले साल आलू किसानों को इन दिनों 1,500 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिला था मगर इस समय अधिकतम भाव 1,100 रुपये प्रति क्विंटल है। यानी किसानों को पिछले साल से 400 रुपये प्रति क्विंटल कम मिल रहे हैं।
पंजाब के आलू किसान और कन्फेडरेशन ऑफ पोटेटो सीड फार्मर्स के महासचिव जंग बहादुर सिंह ने कहा कि इस साल आलू किसानों को फायदा नहीं हुआ है। इसलिए आगे बोआई के लिए आलू के बीज की मांग भी घट सकती है।
इस साल देश में आलू की जबरदस्त पैदावार हुई है। वर्ष 2021-22 में करीब 536 लाख टन आलू हुआ था। वर्ष 2022-23 में इसके बढ़कर 590 लाख टन होने का अनुमान है। फेडरेशन ऑफ कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राजेश गोयल ने बताया कि इस साल 90 से 95 फीसदी कोल्ड स्टोरेज भरे हैं। पिछले साल 85 फीसदी ही भरे थे।
मंडियों में आलू की आवक भी इस साल काफी दिख रहा है। सरकारी एजेंसी एगमार्कनेट के आंकड़े बताते हैं कि इस साल अब तक 120.86 लाख टन आलू की आवक हुई है, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 28 फीसदी अधिक है। इस दौरान उत्तर प्रदेश की मंडियों में आलू की आवक करीब 44 फीसदी बढ़कर करीब 80.68 लाख टन हो चुकी है। आवक बढ़ने के कारण दाम गिरे हैं।
मंडियों में आलू सस्ता होने से खुदरा बाजार में भी इसके भाव घट रहे हैं। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के विभाग के मुताबिक देश में आलू की औसत खुदरा कीमत 24.05 रुपये प्रति किलो है जो पिछले साल 28 सितंबर को 27.98 रुपये थी। आगे भी किसानों को आलू का ज्यादा भाव मिलने की संभावना नहीं है क्योंकि कोल्ड स्टोरों में काफी आलू बचा है। गोयल ने बताया कि अब तक 42-44 फीसदी आलू ही कोल्ड स्टोरेज से निकला और 56 से 58 फीसदी आलू वहीं पड़ा है।