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20 प्रतिशत घट सकता है सूखे प्याज का निर्यात

Last Updated- December 11, 2022 | 6:23 PM IST

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग का असर डिहाइड्रेटेड यानी सूखे प्याज के निर्यात पर पड़ सकता है। उम्मीद की जा रही है कि इस साल निर्यात में 20 प्रतिशत कमी आने की संभावना है। देश में इसके कुल उत्पादन में गुजरात की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है।
भारत से सूखे प्याज का निर्यात मुख्य रूप से यूरोप के देशों में होता है। भारत के कुल निर्यात में इन देशों के बाजारों की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत है, जिसमें खड़े, कटे हुए, स्लाइस्ड, टूटे हुए या पाउडर के रूप में प्याज का निर्यात शामिल है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से खाने में संरक्षित मसाले के रूप में होता है।
रूस और यूक्रेन मिलाकर 20 प्रतिशत आयात करते हैं। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों के मुताबिक भारत ने वित्त वर्ष  2020-21 के दौरान 1,000 करोड़ रुपये से ऊपर के 75,000 टन प्याज निर्यात किया है।
बहरहाल इस साल कई वजहों से सालाना निर्यात कम से कम 10,000 से 15,000 टन या 20 प्रतिशत घटने की संभावना है।
ऑल इंडिया वेजीटेबल डिहाइड्रेटेड मैन्युफैक्चरर्स डेवलपमेंट एसोसिएशन (एआईवीडीएमडीए) के उपाध्यक्ष सावजी थांत ने कहा, ‘निर्यात में रूस और यूक्रेन की अच्छी हिस्सेदारी है और वहां टकराव के कारण निर्यात नहीं के बराबर है। वहीं अन्य देशों को होने वाले निर्यात पर भी असर पड़ा है, जिनकी हिस्सेदारी 60 प्रतिशत है। इसकी वजह है कि भारत के सूखे  प्याज संबंधित उत्पाद गैर प्रतिस्पर्धी हो गए हैं और मिस्र जैसे  देशों से सस्ते विकल्प मिल रहे हैं।’
थांत के मुताबिक भारत के सूखे प्याज में एथिलीन ऑक्साइड के अवशेष मिलने की शिकायत यूरोप से मिली थी, जिसे अब उद्योग दूर कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘इसके साथ ही यूरोप के ग्राहक मिस्र का रुख कर रहे हैं, जिसने अपना उत्पादन 80,000-10,000 टन से बढ़ाकर 30,000 टन कर दिया है। साथ ही मिश्र से यूरोप को 1,200 डॉलर प्रति कंटेनर के भाव सस्ता माल मिल रहा है, जो भारत से 8,000 डॉलर प्रति कंटेनर मिलता है।’
इसके अलावा भारत से यूरोप भेजे जाने वाले सूखे प्याज पर 9.3 प्रतिशत आयात शुल्क लगता है, जबकि मिस्र से यूरोप कोई शुल्क नहीं लेता।

First Published - June 10, 2022 | 12:26 AM IST

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